आने वाले कुछ समय में भारत में होगी कोरोना की कारगर वैक्सीन और इलाज भी: ICMR DG
आईसीएमआर के महानिदेशक के मुताबिक भारत में कुछ समय के बाद कोविड-19 की वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी।
डॉ शेखर मांडे। भारत में करीब छह महीने पहले कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने शुरू हुए। यह वह दौर था जब किसी को यह समझ में नहीं आ रहा था कि इस पर किस तरह से काबू पाया जाए। विदेश से जो समाचार आ रहे थे वह बेहद डरावने थे। अचानक आई इस महामारी से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन लगाना पड़ा। यह दौर काफी डराने वाला था। कारण यह था कि कोरोना नया वायरस था जिसके बारे में किसी को बहुत ज्यादा जानकारी नहीं थी। इसी वजह से लोग काफी भयभीत थे। घरों में कैद होने के साथ उन्हें यह नहीं समझ में आ रहा था कि वह संक्रमण से बचाव के लिए क्या करें। सच्चाई यह है कि बीते चार-पांच महीनों में हम कोरोना के साथ जीना सीख चुके हैं। हम जान चुके हैं कि कोरोना वायरस से डरने की नहीं,सावधान रहने की जरूरत है।
आज हम अनलॉक चार की तरफ बढ़ रहे हैं। जिंदगी वापस अपने ढर्रे पर लौटने लगी है। लोग ऑफिस और अपने काम पर जाने लगे हैं। बाजारों में लोग सामान खरीदने व अन्य जरूरी कार्यों के लिए भी निकल रहे हैं। स्थितियां काफी कुछ सामान्य होने लगी हैं और यह एक अच्छा संकेत है। लेकिन इसका यह कतई अर्थ नहीं कि हम सावधानी छोड़ दें, कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सावधानी ही एक मात्र विकल्प है और यह हमने बीते कुछ महीनों में सीख भी लिया है। मास्क लगाना, शारीरिक दूरी रखना, ऐसी जगह जहां खुली हवा ना हो ज्यादा लोगों का इकट्ठा न होना, ऐसे आयोजनों से बचना जिसमें ज्यादा लोगों को इकट्ठा करने की जरूरत हों, आदि बातों पर आज भी अमल की जरूरत है। इसके अलावा हैंड हाइजीन का बराबर ध्यान रखना यह सब अब हमारी आदत में शुमार हो गया है और यही कोरोना से निपटने के लिए महत्वपूर्ण भी साबित हो रहा है। महामारी के बढ़ते समय के साथ हम बहुत कुछ जानकारी हासिल करते गए और अपडेट होते चले गए।
एक तरफ चिकित्सक यह समझ चुके थे कि संक्रमण से किस तरह बचाव करना है वहीं दूसरी तरफ लोग भी इस बात के लिए तैयार हो गए थे कि उन्हें कोरोना के साथ किस तरीके से जीवन व्यतीत करना है। महामारी की शुरुआत में जिस तरीके से लोग भयभीत थे और घरों में कैद होकर रह गए थे। अब स्थितियां व जनजीवन काफी हद तक सामान्य हो चला है लेकिन एहतियात के साथ। साफ है कि हम डरने के बजाय उसके साथ जीना सीख चुके हैं।
देश में कोरोना वायरस से 50 फीसद मामले ऐसे हैं जो एसिम्प्टोमेटिक हैं, यानी बगैर लक्षण वाले। मतलब इन लोगों को कोरोना संक्रमण होकर ठीक भी हो गया है और इनको पता भी नहीं चला। वहीं जिन लोगों को कोरोना हुआ भी उनमें से 80 फीसद से अधिक लोग ऐसे हैं जिनको अस्पताल जाने की जरूरत ही नहीं महसूस हुई और वह घर पर ही रह करके ठीक हो गए। इससे भी हमारी हिम्मत बढ़ी और हमें यह समझ में आने लगा कि यह कोई डराने वाली चीज नहीं है। आने वाले दो-तीन महीने बहुत ज्यादा अहम हैं। वैक्सीन के ट्रायल शुरू हो रहे हैं और जल्द ही इनके परिणाम आना शुरू हो जाएंगे। वहीं कोरोना के इलाज के लिए दवाएं भी आ चुकी हैं और लगातार आ रही हैं।
इसका अर्थ यह है कि आने वाले कुछ महीनों में हमारे पास वैक्सीन भी होगी और सटीक इलाज भी। साथ ही बचाव के सारे तरीकों के बारे में भी हम पूरी तरीके से जागरूक हैं इसलिए अब कोई वजह नहीं यह हम कोरोना से डरकर जीवन जीना छोड़ दें। लगातार डटकर सामान्य जीवन जीते हुए अपना काम करें और देश को आगे बढ़ाएं। हालांकि अभी भी कुछ लोग काफी बेफिक्र हैं और वह मास्क का नियमित रूप से इस्तेमाल नहीं करते हैं। वही शारीरिक दूरी के पालन में लापरवाही बरत रहे हैं। यह लोग अपने लिए तो घातक हो ही सकते हैं, दूसरों के लिए भी खतरा पैदा कर रहे हैं। इसलिए ऐसे कुछ लोगों को भी अब गंभीर होने की जरूरत है और उन्हें इस बात को समझना होगा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए उन्हें मास्क पहनना, हैंड हाइजीन का ध्यान रखना,शारीरिक दूरी का ध्यानरखने का शत-प्रतिशत अनुपालन करना होगा।
(लेखक वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक हैं)
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