लोकसभा चुनाव में हार के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस के इन बड़े नेताओं का क्या होगा?
मध्य प्रदेश में प्रथम पंक्ति के नेताओं के चुनाव हारने की वजह से प्रदेश में कांग्रेस के सामने नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया है।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता लोकसभा चुनाव हार गए। प्रथम पंक्ति के नेताओं के चुनाव हारने की वजह से प्रदेश में कांग्रेस के सामने नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया है और हारे हुए नेताओं के सियासी भविष्य पर भी सवालिया निशान लग गए हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि पार्टी कोई नया चेहरा सामने ला सकती है।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अजय सिंह और कांतिलाल भूरिया लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। सिंधिया का अपने गढ़ में चुनाव हारना पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इस हार से कांग्रेस नेता अचरज में हैं। पार्टी आलाकमान में उनकी गहरी पैठ के चलते उनके सियासी भविष्य को लेकर तो किसी को संदेह नहीं है। माना जा रहा है कि शीघ्र ही संगठन में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
दिग्विजय सिंह
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भविष्य को लेकर हो रही है। दिग्विजय संगठन के सबसे अनुभवी नेता माने जाते हैं। उनका इस्तेमाल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस ने बखूबी किया था। भोपाल जैसे भाजपा के गढ़ में जाकर चुनाव लड़ना दिग्विजय का सबसे गलत निर्णय कहा जा सकता है।
बताया जा रहा है कि दिग्विजय राजगढ़ सीट से चुनावी समर में कूदना चाहते थे लेकिन कमलनाथ ने उन्हें भोपाल से लड़ने के लिए मनाया। फिलहल दिग्विजय सिंह अभी राज्यसभा सांसद है और उऩका कार्यकाल अगले साल मई तक है। इसके बाद कांग्रेस उनका किस तरह से उपयोग करती है यह देखने वाली बात है।
अजय सिंह
प्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव भी हार चुके हैं। दोनों चुनाव वे अपने प्रभाव वाली सीटों पर ही वे हारे हैं ऐसे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को लेकर उनका दावा कमजोर लगता है।
कांतिलाल भूरिया
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया विधानसभा चुनाव में अपने बेटे को नहीं जीता पाए थे। इसके बाद लोकसभा चुनाव में वे खुद भी हार गए। दोनों पिता-पुत्र को भाजपा के एक ही नेता जीएस डामोर ने ही चुनाव हराया। भूरिया पिछला लोकसभा चुनाव भी हार गए थे।
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