अरुणाचल के तीन जिले और असम के आठ थाना क्षेत्र 'अशांत' घोषित, केंद्र ने लगाया अफस्पा
अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्रों में सुरक्षाबलों को विशेष शक्तियां दी जाती हैं। सशस्त्र बलों को तलाशी लेने और बल प्रयोग जैसे मामलों में ज्यादा स्वतंत्रता मिलती है।
नई दिल्ली, एएनआइ। अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों को अशांत घोषित करते हुए में केंद्र सरकार ने वहां सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) की अवधि को बढ़ा दिया गया है। ये जिले हैं, तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग। गृह मंत्रालय ने बुधवार को इसकी अधिसूचना जारी की। इन तीन जिलों के अलावा अरुणाचल के असम सीमा से सटे लगभग आठ पुलिस स्टेशनों के अंतर्गत आने वाले कुछ इलाकों को भी अशांत घोषित किया गया है।
पूर्वोत्तर के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों की लगातार चल रहीं गतिविधियों को देखते हुए अफस्पा की अवधि को बढ़ाया गया है। गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया, 'तिरप, चांगलांग, लोंगडिंग जिलों और असम सीमा से लगने वाले 8 थानों के इलाकों को अशांत घोषित किया गया है। ऐसे में अफस्पा एक्ट, 1958 की धारा 3 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार इन इलाकों में 31 मार्च 2019 तक अफस्पा को लागू करने की घोषणा करती है। यह 1 अक्टूबर 2018 से लागू माना जाएगा, अगर इससे पहले नहीं हटा दिया जाता है।'
गृह मंत्रालयों ने जिन आठ थाना क्षेत्रों को अशांत घोषित किया है, उनमें पश्चिम कामेंग जिले के बालेमू और भालुकपोंग, पूर्वी कामेंग जिले का सीजोसा, पापुमपारे जिले का बालिजान, नमसाई जिले के नमसाई और महादेवपुर, निचली दिबांग घाटी जिले में रोइंग और लोहित जिले में सुनपुरा थाना शामिल हैं।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि संबंधित क्षेत्रों में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद यह फैसला किया गया। अरुणाचल प्रदेश के इन इलाकों में प्रतिबंधित उग्रवादी समूह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा), नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन-के) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) सक्रिय हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले असम के गवर्नर जगदीश मुखी ने 30 अगस्त को राज्य में अफस्पा अगले छह महीनों के लिए बढ़ा दिया था। अफस्पा एक्ट के अनुसार अशांत क्षेत्रों में सुरक्षाबलों को विशेष शक्तियां दी जाती हैं। सशस्त्र बलों को तलाशी लेने, गिरफ्तारी करने और बल प्रयोग करने जैसे मामलों में सामान्य के मुकाबले ज्यादा स्वतंत्रता मिलती है। हालांकि लोग इस एक्ट का विरोध करते रहे हैं। इरोम शर्मिला ने अफस्फा के विरोध में लगभग 16 साल अनशन किया।