Move to Jagran APP

Madhya Pradesh: अफ्रीकी चीता देश में आने के आसार और बढ़े, कूनो व नौरादेही पहुंची विशेषज्ञ टीम

संस्थान ने चार शोधकर्ता कूनो पालपुर और चार नौरादेही भेजे हैं। जिन्होंने काम शुरू कर दिया है। दोनों दल फिलहाल अपने-अपने क्षेत्र का मुआयना कर रहे हैं। इसके बाद विस्तृत अध्ययन शुरू होगा। अध्ययन में चीता बसाने के लिए जरूरी सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 04:19 PM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 04:19 PM (IST)
Madhya Pradesh: अफ्रीकी चीता देश में आने के आसार और बढ़े, कूनो व नौरादेही पहुंची विशेषज्ञ टीम
दोनों संरक्षित क्षेत्रों में डेढ़ महीने तक अध्ययन करेगी टीम

भोपाल, राज्य ब्यूरो। देश में अफ्रीकी चीता आने की संभावनाएं और बढ़ गई हैं। यह मौका टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश को मिल सकता है, क्योंकि चीता को बसाने की उपयुक्त परिस्थितियों की पहली परीक्षा में पास हो चुके यहां के कूनो पालपुर नेशनल पार्क और नौरादेही अभयारण्य दूसरी परीक्षा में जवाब दे रहे हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) देहरादून ने अध्ययन दल दोनों जगह भेज दिए हैं। इसके विशेषज्ञ दल डेढ़ महीने तक दोनों संरक्षित क्षेत्र में रकेंगे और क्षेत्र का बारीकी से अध्ययन करेंगे। इसी के आधार पर तय होगा कि दोनों जगह चीते बसाए जा सकते हैं या नहीं। इस दौरान दोनों दल यह भी पता लगाएंगे कि संबंधित संरक्षित क्षेत्रों में कभी चीता रहे हैं या नहीं।

loksabha election banner

इसी के साथ प्रदेश में चीता बसाने की कवायद का दूसरा चरण शुरू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय साधिकार समिति (CEC) की उप समिति की रिपोर्ट और कूनो पालपुर में चीता बसाने के लिए राज्य सरकार की सहमति के बाद डब्ल्यूआइआइ ने कूनो पालपुर और नौरादेही का अध्ययन शुरू करवा दिया है।

संस्थान ने चार शोधकर्ता कूनो पालपुर और चार नौरादेही भेजे हैं। जिन्होंने काम शुरू कर दिया है। दोनों दल फिलहाल अपने-अपने क्षेत्र का मुआयना कर रहे हैं। इसके बाद विस्तृत अध्ययन शुरू होगा। अध्ययन में चीता बसाने के लिए जरूरी सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा।

गौरतलब है कि सीईसी की उप समिति 23 नवंबर से तीन दिसंबर 2020 तक प्रदेश के दौरे पर थी। समिति ने कूनो पालपुर, नौरादेही, माधव नेशनल पार्क शिवपुरी और गांधीसागर अभयारण्य, मंदसौर का निरीक्षण किया था। चीता के अनुकूल जलवायु के कारण इनमें से कूनो पालपुर और नौरादेही को ही पसंद किया गया था।

अध्ययन में यह रहेगा शामिल

शोधकर्ता विशेषज्ञ संबंधित क्षेत्रों में घास की उपलब्धता, उसकी ऊंचाई और गुणवत्ता, मैदानी क्षेत्र का व्यास, छिपने के लिए कंदराएं, छोटे-बड़े बारहमासी पानी के स्रोत, क्षेत्रों में चीतल-सांभर, हिरण और नीलगाय की संख्या, वन्यजीवों की निगरानी के तरीके पर विस्तार से रिपोर्ट तैयार करेंगे।

रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार लेगी निर्णय

दोनों दल ढाई से तीन महीने में अपनी अध्ययन रिपोर्ट केंद्रीय वन मंत्रालय को सौंप देंगे। इसके बाद इस पर राज्य के वन अधिकारियों के साथ बैठक होगी और फिर केंद्र सरकार इनमें से सबसे अनुकूल या दोनों ही संरक्षित क्षेत्रों में चीता बसाने की सहमति दे सकती है। इसके बाद दक्षिण अफ्रीकी देश नामीबिया से चीता लाने की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जाएगी। मंजूरी मिलने के बाद देश में चीता लाने की प्रक्रिया शुरू होगी।

मध्य प्रदेश के वन्यप्राणी के अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक जेएस चौहान ने बताया कि कूनो पालपुर और नौरादेही में अध्ययन दल आ गए हैं। दोनों ने अध्ययन भी शुरू कर दिया है। यह डेढ़ महीने चलेगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.