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जगदीप ने 'सूरमा भोपाली' के किरदार के जरिए कर दिया भोपाली स्टाइल और कल्चर को अमर

फिल्म शोले के सूरमा भोपाली के किरदार को स्क्रिप्‍ट राइटर सलीम-जावेद ने रचा था। जावेद ने भोपाल के सैफिया कॉलेज में एक शख्स को देखकर यह किरदार गढ़ा था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 06:15 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 08:37 AM (IST)
जगदीप ने 'सूरमा भोपाली' के किरदार के जरिए कर दिया भोपाली स्टाइल और कल्चर को अमर
जगदीप ने 'सूरमा भोपाली' के किरदार के जरिए कर दिया भोपाली स्टाइल और कल्चर को अमर

भोपाल, राज्‍य ब्‍यूरो। 'तो क्या दो रुपे में सारा जंगल खरीदने निकले थे आप। देखो मियां अब भोत हो गिया, आप यहां से रवानगी दे दो, नहीं तो मेरा नाम भी सूरमा भोपाली हे।' फिल्म शोले के इस डॉयलाग ने एक्टर जगदीप को फिल्मी दुनिया में न केवल 'सूरमा भोपाली' के रूप में स्थापित किया बल्कि 1975 में भोपाल का नाम भी देश दुनिया में लोगों की जुबान पर चर्चा में ला दिया।

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जगदीप का 81 वर्ष की उम्र में बुधवार को मुंबई में निधन हो गया, लेकिन वे 'सूरमा भोपाली' के किरदार में बातचीत के भोपाली स्टाइल और कल्चर को अमर कर गए। इस फिल्म के बाद जब भी भोपाल का जिक्र आता तो लोग सूरमा भोपाली की बातचीत का भोपाली लहजा और भोपालियों के पान खाने की आदत की बात करते हैं। ये डॉयलाग याद किए जाते हैं -अल्ला आपकी तमन्ना पूरी करे, भोपाल होता तो हम वेसे ही आप को दो मिनट मे अंदर करवा देते, हमारा नाम सूरमा भोपाली हे।- क्या के रे हो आप, मे तो केता हूं आप ये पान खा लो, भोत अच्छा पान है मियां, भोत अच्छा पान है।

जगदीप साहब ने भोपाली जुबान से पूरी दुनिया को अवगत कराया 

फिल्म शोले के सूरमा भोपाली के किरदार को स्क्रिप्‍ट राइटर सलीम-जावेद ने रचा था। जावेद ने भोपाल के सैफिया कॉलेज में एक शख्स को देखकर यह किरदार गढ़ा था। उस असली सूरमा भोपाली का नाम नाहर सिंह बघेल था। जिनका 1979 में निधन हो चुका है।

दोस्तों ने दिया था उन्हें ये नाम 

पुराने भोपाल में बने सैफिया कॉलेज में पढ़ाई करने वाले ये असली सूरमा भोपाली थे नाहर सिंह जिन्हें लोग काले मामा भी कहते थे। शहर के इतिहासकार डॉ. आलोक गुप्ता बताते हैं कि वे न केवल गाने के शौकीन थे, बल्कि झगड़ालू भी बहुत थे। उनकी नाक पर हमेशा गुस्सा रहता था और आंखों में पतला सा सूरमा। इसलिए दोस्त उन्हें सूरमा भोपाली कहने लगे थे। 

जावेद अख्तर को भेजा था नोटिस

डॉ.गुप्ता बताते हैं कि जब फिल्म शोले रिलीज हुई तो बिना अनुमति अपने नाम का किरदार फिल्म में देखकर नाहर काफी नाराज हुए थे। नाहर का कहना था कि जगदीप का किरदार मुझसे प्रेरित है। उन्होंने फिल्म के लेखक जावेद अख्तर को इस बावत मानहानि का कानूनी नोटिस भी भेजा था। हालांकि, बाद में उन्होंने केस आगे नहीं बढ़ाया। फिल्म अभिनेता और रंगकर्मी बालेंद्र सिंह बालू ने बताया कि जगदीप साहब ने अपने किरदार के माध्यम से भोपाल की जुबान में पूरे विश्व में पहचान दी। 

कॉमेडी की फील्ड में जगदीप ने बनाई खास पहचान 

फिल्म अभिनेता गोविंद नामदेव ने कहा कि हम बचपन से ही उनको देखते आ रहे हैं। उनके व्यक्तित्व से सच्चाई झलकती थी। वे अभिनय भी बहुत ही सामान्य तरीके से कर लेते थे। मासूमियत लिए हुए उनमें एक भाव था। एक-दो फिल्में मैंने उनके साथ की हैं। उनके साथ बहुत ही विनम्रता, सहजता और आत्मीयता के साथ मिलना हुआ है। जगदीप का निधन फिल्म इंडस्ट्री के लिए बड़ी क्षति है। कॉमेडी की फील्ड में उन्होंने एक खास पहचान बनाई। हम दोनों ही मप्र से रहे हैं। वे मेरे सीनियर रहे हैं। मैं उनकी कामेडी की टाइमिंग से काफी इंप्रेस रहा हूं। 


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