नक्सलियों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना बना छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़, यहां छिपे हैं कई मोस्टवांटेड
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नक्सल हिंसा पर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें देशभर के दस नक्सल प्रभावित राज्यों में नौ साल के भीतर 3769 लोगों के मारे जाने की बात सामने आई है।
हिमांशु शर्मा, रायपुर। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल में नक्सल हिंसा पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें देशभर के दस नक्सल प्रभावित राज्यों में नक्सल हिंसा में नौ साल के भीतर 3769 लोगों के मारे जाने की बात सामने आई है। इसमें सर्वाधिक 1370 लोगों ने छत्तीसगढ़ में नक्सल हिंसा में जान गंवाई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश में विभिन्न वाम चरमपंथी संगठनों में सीपीआई माओवादी सबसे ताकतवर संगठन है। इसी संगठन के कई बड़े लीडर इन दिनों छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके में डेरा जमाए हुए हैं।
एनआईए ने इनके हुलिए के साथ संभावित ठिकानों की एक सूची जारी की थी, जिसमें मोस्ट वांटेड लिस्ट के सर्वाधिक नक्सलियों के इसी जोन में शरण लेने की बात सामने आ रही है। दूसरी तरफ राज्य सरकार दावा कर रही है कि राज्य में नक्सलियों के तमाम बड़े लीडर्स को पुलिस ने मुठभेड़ों में मार गिराया है, लेकिन इस दावे के उलट ज्यादातर बड़े नक्सल लीडर्स आज भी जिंदा हैं और अबूझमाड़ के घने जंगल में सुरक्षित ठिकानों में रह कर नेटवर्क के प्रसार के लिए काम कर रहे हैं।
देश के सबसे बड़े वाम चरमपंथी संगठन का इस इलाके में कब्जा
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि सीपीआई माओवादी देश में सबसे बड़ा और मजबूत वाम चरमपंथी संगठन है जो देशभर में होने वाली 88 फीसद नक्सल घटनाओं के लिए अकेले जिम्मेदार है। इसी संगठन के बड़े लीडरों की तलाश के लिए एनआईए ने जो सूची जारी की थी, उसमें कम से कम 10 बड़े ओहदेदार मोस्टवांटेड नक्सली लीडरों के छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके में होने की बात कही गई थी। नक्सलवाद ने आज देश के कई हिस्सों में अपना पैर पसार लिया है। इनमें छत्तीसगढ़ सबसे ऊपर है। नक्सलियों की बढ़ती गतिविधियों से गृह मंत्रालय चिंतित है और नक्सली उन्मूलन के लिए व्यापक स्तर पर नीतियां तैयार की जा रही हैं।
इन नामों के साथ पूरे देश में जुड़ा है नक्सल नेटवर्क
मोस्ट वांटेड नक्सलियों की लिस्ट में सबसे पहला नाम मुप्पला लक्ष्मन राव का है जिसे गणपति और रमन्ना के नाम से भी जाना जाता है। 71 साल का यह शख्स हाल ही में नक्सलियों के सबसे बड़े ओहदे सेंट्रल कमेटी के महासचिव पद से रिटायर हुआ है। एनआईए को अंदेशा है कि यह वर्तमान में छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ क्षेत्र में छिपा हुआ है। इसके साथ ही लिस्ट में नम्बल्ला केशव राव उर्फ बसव राजू का नाम भी शामिल है। यह नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी नया महासचिव है और इसके भी अबूझमाड़ क्षेत्र में छिपे होने की बातें सामने आ रही हैं।
इनके अलावा टॉप मोस्ट सूची में प्रशांत बोस उर्फ किसनजी का नाम शामिल है जिसके झारखंड के सारंदिया क्षेत्र में होने की बातें सामने आ रही हैं। छत्तीसगढ़-आंध्रा और ओडिशा बॉर्डर पर सायन्ना नाम के नक्सली नेता के होने का अंदेशा एनआईए को है। सूची में अगला नाम मल्लोइयुला वेनुगोपाल का है जो छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर सक्रिय है और यहां से नक्सली गतिविधियों को लीड कर रहा है। एनआईए को इन सब की सरगर्मी के साथ तलाश है। वैसे एजेंसी का मानना है कि इनमें से ज्यादातर बड़े नक्सली किसी एक ठिकाने पर स्थायी तौर पर न रहकर लगातार मूवमेंट में हैं, जिसकी वजह से इन्हें पकड़ना थोड़ा मुश्किल हो रहा है।
ऐसा है अबूझमाड़ का भूगोल
साल के ऊंचे सघन वनों से घिरा अबूझमाढ़ का इलाका देश का एक ऐसा भू भाग है जिसे आज भी वर्जिन लैंड के नाम से जाना जाता है। इस इलाके में सघन वनों और पहाड़ों के साथ ऐसे पहुंचविहीन इलाके के कई गांव ऐसे हैं जिनका राजस्व सर्वे आज तक नहीं हुआ। मतलब यहां सरकार के कदम भी अब तक नहीं पड़े हैं। बस्तर अंचल के नारायणपुर जिले में स्थित अबूझमाड़ का कुछ हिस्सा महाराष्ट्र और कुछ आंध्र प्रदेश में पड़ता है। इन्द्रावती, नल्लामल्ला, कान्हा, नागझीरा, ताडोबा, उदन्ती सीतानदी जैसे राष्ट्रीय उद्यान इस क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
अंतर्राज्यीय सीमा के साथ इतने सारे राष्ट्रीय उद्यानों से घिरे होने की वजह से इस इलाके का ज्यादातर हिस्सा पहुंच विहीन रहा है और इसी का फायदा उठा कर मोस्ट वांडेट नक्सल लीडर यहां सालों से डेरा जमाए बैठे हैं। हालांकि अब राज्य पुलिस और सुरक्षाबल इस गढ़ को भेदते हुए लगातार आगे बढ़ रहे हैं। फोर्स पिछले दिनों अबूझमाड़ के उन इलाकों तक पहुंची जहां इससे पहले उनकी पहुंच नहीं हुई थी। यहां नक्सलियों के कैंप को भी फोर्स ने ध्वस्त किया था। गूगल मैप के अनुसार पांच हजार वर्ग किलोमीटर इलाके में फैले इस क्षेत्र को अबूझमाड़ नाम इसलिए मिला है क्योंकि माड़ यानि गहरी घाटियां और पहाड़ वाला यह एक अत्यंत दुर्गम इलाका है, जिसे बूझ या समझ पाना मुश्किल है। यह अपने आप में एक प्राकृतिक भूलभुलैया है।