विवादों में घिरा बिग बी अमिताभ बच्चन की मदद वाला ABH ओल्ड एज होम
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भारतीय मूल के बुजुर्गों के लिए चल रहे इस ओल्ड एज होम के लिए दुनिया भर से चंदा जुटाने में मदद करते हैं।
जोहानिसबर्ग, प्रेट्र। वृद्धों की मदद के लिए दक्षिण अफ्रीका में चलाया जा रहा एक ओल्ड एज होम लॉकडाउन के नियमों की अनदेखी के चलते विवादों में घिर गया है। बता दें कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भारतीय मूल के बुजुर्गों के लिए चल रहे इस ओल्ड एज होम के लिए दुनिया भर से चंदा जुटाने में मदद करते हैं। इस ओल्ड एज होम का नाम आर्यन बेनेवोलेंट होम (एबीएच) है और इसकी शुरुआत सौ साल पहले की गई थी।
एबीएच के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पुत्तुनदीन और यहां कंस्ट्रक्शन का काम कर रहे ठेकेदार रोशन लक्ष्मण को पुलिस ने बुजुर्गों के चैट्सवर्थ होम में कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड तैयार करने के लिए आवश्यक अनुमति नहीं होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।
एबीएच की ओर से इस केंद्र में संक्रमण फैलने की आशंका के मद्देनजर तैयारी के तौर पर जब 24 बिस्तरों का वार्ड बनाया जा रहा था, उसी दौरान पुलिस पहुंच गई। पुलिस ने आरोप लगाया है कि इस कंस्ट्रक्शन के लिए अनुमति नहीं ली गई थी और यह देश भर में जारी लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन है।
लक्ष्मण ने वेबसाइट ‘इंडिपेंडेंट ऑनलाइन’को बताया कि उनके और पुत्तुनदीन के पास लॉकडाउन के दौरान काम करने के वैध दस्तावेज थे, जिन्हें पुलिस ने कानून सम्मत मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि वे सभी मजदूरों समेत उन्हें पुलिस थाने ले गए और सभी को एक बरामदे में रखा गया। यहां पर रखते समय पुलिस ने शारीरिक दूरी का भी ध्यान नहीं रखा।
थोड़ी देर बाद मजदूरों को तो चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, लेकिन लक्ष्मण और पुत्तुनदीन को तब छोड़ा गया, जब उनके वकील ने जमानत राशि जमा की। लक्ष्मण के मुताबिक, यह घटनाक्रम उनके लिए अपमानजनक था। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनके साथ इस तरह का बर्ताव किया, मानो वे कोई नशीला पदार्थ या शराब बेच रहे हों।
2002 में पहली बार यहां आए थे अमिताभ :
अमिताभ बच्चन तब से एबीएच का समर्थन कर रहे हैं, जब वह बॉलीवुड कार्यक्रम ‘नाऊ ऑर नेवर’ के सिलसिले में 2002 में दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के दौरान पहली बार यहां आए थे। पिछले साल अक्टूबर में बिग बी दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के साथ एबीएच के लिए फंड जुटाने के अभियान में शामिल हुए थे। एबीएच उन जरूरतमंद भारतीय मूल के वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल के लिए एक सदी पहले शुरू हुआ था, जिनकी अनदेखी की जा रही थी।