आंध्र प्रदेश में अज्ञात लोगों ने भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को पहुंचाया नुकसान
आंध्र प्रदेश में डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr BR Ambedkar) की एक प्रतिमा को अज्ञात हमलावरों द्वारा नुकसान पहुंचाने का मामला सामने आया है। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद जांच करने की बात कही है। मामला पूर्व गोदावरी जिला (Godavari District) का है।
हैदराबाद, एएनआइ। आंध्र प्रदेश में डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr BR Ambedkar) की एक प्रतिमा को अज्ञात लोगों द्वारा तोड़ने का मामला सामने आया है। पुलिस ने बताया कि मामला पूर्व गोदावरी जिला (Godavari District) में मौजूद रज़ोल मंडल (Razole Mandal) के कात्रीनिपु गांव (Katrenipadu Village) का है, जहां पर कुछ उपद्रवियों ने भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया। पुलिस ने कहा कि हम इसके खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर देंगे।
7 अक्टूबर को मध्य प्रदेश में भी सामने आया था मामला
गौरतलब है कि इससे पहले 7 अक्टूबर 2020 को मध्य प्रदेश के शिवपुरी में भी संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति के साथ तोड़फोड़ का मामला सामने आया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बरेला चौराहे पर अंबेडकर की मूर्ति को तोड़ा गया था। पुलिस ने इस मामले में आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
डॉ.बाबासाहब अंबेडकर के नाम से भीम को है जाना जाता
भीमराव आंबेडकर को डॉ.बाबासाहब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है। वह देश के संविधान बनाने के लिए मशहूर है। उन्हें राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने के दलित दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित करने के साथ-साथ दलितों के साथ हो रहे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ भी अभियान चलाया था।
1956 में भीमराम ने बौद्ध धर्म अपनाया
इसके साथ ही 1956 में भीमराम ने बौद्ध धर्म अपना लिया। उन्हें 1990 में भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी मरणोपरांत सम्मानित किया गया था।
मध्य प्रदेश में हुआ जन्म
उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश में स्थित महू नगर सैन्य छावनी में हुआ था। उनका परिवार कबीर पंथ को माननेवाला मराठी मूल का था और वो वर्तमान महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में आंबडवे गांव के निवासी थे। भीमराव आम्बेडकर के पूर्वज लंबे समय से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्य करते थे। उनके पिता रामजी सकपाल, भारतीय सेना की महू छावनी में सेवारत थे तथा यहां काम करते हुये वे सुबेदार के पद तक पहुंचे थे। उन्होंने मराठी और अंग्रेजी में औपचारिक शिक्षा प्राप्त की थी।