बाधा मुक्त कृषि व्यापार के अध्यादेश ने हमारे लिए देशभर के बाजार खोल दिए हैं
नए अध्यादेश के जरिए किसानों के लिए नए बाजार खुल गए हैं। इससे किसान अपनी फसल को बाहर बेच सकते हैं।
प्रदीप गुलिया। बाधा मुक्त कृषि व्यापार के अध्यादेश ने हमारे लिए देशभर के बाजार खोल दिए हैं। यानी अब हम अधिसूचित मंडियों से बाहर कहीं भी अपनी फसल बेच सकते हैं। किसी भी कंपनी से करार कर सकते हैं। किसी भी बाजार में उपज को ले जा सकते हैं। हरियाणा की मंडियां चाहे कितनी ही विकसित क्यों न हो गईं, पर आज भी कई बार ऐसा लगता है कि हम बंधे हुए हैं। इस मंडी में फसल बेच सकते हैं। बाहर नहीं जा सकते। अगर बाहर फसल बेचने का प्रयास किया तो रास्ते में अफसर तंग करते हैं। पर अब ऐसा नहीं होगा। पहले मंडी में ही अपनी उपज को किसान बेच पाता था, लेकिन अब वो कहीं भी खड़े होकर अपनी उपज को बेचकर उचित दाम पा सकते हैं।
यहां पर मैं एक बात कहना चाहूंगा। कोल्ड स्टोर को हम फसल बेचने के लिए मुक्त हैं। पर इनकी अब संख्या भी बढ़ानी होगी। किसान अपनी समिति बनाकर कोल्ड स्टोर, वेयरहाउस, कारखाने बना सकते हैं पर इसके लिए अभी बेहद काम करने की जरूरत है। दूसरी जो महत्वपूर्ण बात कंपनियों को सीधे फसल बेचना है। कंपनियां सीधे खेत से फसल लें, इससे किसान को फायदा ही होगा। कंपनियां जब सीधे डील करेंगी तो गुणवत्ता भी सुधरेगी। अभी किसान को अपनी उपज बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद जैसे साधनों का प्रयोग करना पड़ता है। कंपनी अगर रेट बढ़ाकर देंगी तो हम न तो रासायनिक खाद का इस्तेमाल करेंगे और विविधता भी अच्छी देंगे। जैसे मध्यप्रदेश की फसल को दाम मिलता है, वैसा ही दाम हरियाणा को मिलेगा। इसे आप एक उदाहरण से समझें।
गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए 2967 और 3086 वैरायटी के बीज का उपयोग करते हैं। एक एकड़ में 40 किग्रा बीज डलता है। एक बैग डीएपी, चार बैग यूरिया के, जिंक, सल्फर, पोटाश डालना पड़ता है। तब जाकर 22 से 28 क्विंटल तक पैदावार होती है। दूसरी तरफ देसी 306 की वैरायटी की गुणवत्ता अच्छी है। इसका बीज डालते हैं तो आठ क्विंटल तक ही पैदावार होगी। अगर इसकी मांग बढ़ेगी तो किसान के साथ समाज को भी फायदा होगा। इस समय अच्छे गेहूं की मांग बढ़ भी रही है। पर किसान को कीमत मिलनी चाहिए। किसान को र्आिथक रूप से मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने सही कदम उठाया है। कोरोना संकट के वक्त मंडियों में खरीद की व्यवस्था बेहतर रही। अब ये नये अध्यादेश नए रास्ते लेकर आए हैं। हम कभी सोच नहीं सकते थे कि कारखाने तक फसल पहुंंचा सकेंगे। पर अब ऐसा होने वाला है।
(लेखक भारतीय किसान संघ से जुड़े कृषि क्षेत्र के अध्येता हैं)