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'हत्यारा केवल शरीर को नष्ट करता है, जबकि दुष्कर्मी आत्मा को हिला देता है'

अपराध के स्वरूप और पीड़ित व उसके परिवार की आत्मा पर आए आघात को देखते हुए यह सजा आवश्यक है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 07 Feb 2018 09:25 AM (IST)Updated: Wed, 07 Feb 2018 09:25 AM (IST)
'हत्यारा केवल शरीर को नष्ट करता है, जबकि दुष्कर्मी आत्मा को हिला देता है'
'हत्यारा केवल शरीर को नष्ट करता है, जबकि दुष्कर्मी आत्मा को हिला देता है'

जबलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। एक हत्यारा केवल शरीर को नष्ट करता है, जबकि दुष्कर्मी असहाय महिला की आत्मा को ही हिला देता है। उसके समूचे व्यक्तित्व का नाश कर देता है। इसीलिए बलात्कार के मामले में फैसला सुनाते समय अदालत अत्यधिक संवेदनशीलता बरतते हुए नाबालिग से बलात्कार के अपराधी को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाती है।

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अपराध के स्वरूप और पीड़ित व उसके परिवार की आत्मा पर आए आघात को देखते हुए यह सजा आवश्यक है। प्रायश्चित और भय की भावनाएं भी शामिल दशम विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) पीसी गुप्ता की अदालत ने अपने फैसले में यह भी साफ किया कि 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा के पीछे अपराध के प्रति पश्चाताप कराने के साथ-साथ बलात्कार जैसे अत्यंत कुत्सित अपराध के प्रति समाज में दंड का भय व्याप्त करने की भावना भी शामिल है।

साथ ही बलात्कार की पीड़ित नाबालिग को प्रतिकर के रूप में 5 हजार रुपए अर्थदंड की राशि भी दिए जाने की व्यवस्था दी गई है। बडेरा पनागर निवासी आरोपी दिन्नू उर्फ दिनेश ने 2 दिसम्बर 2014 को रात 10 बजे लघुशंका के लिए घर से बाहर निकली 6 वर्षीय नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया था।


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