पिता ने 105 किमी साइकिल चलाकर बेटे को दिलाई परीक्षा, दोनों ने रात में किया आठ घंटे का सफर
मध्य प्रदेश के धार जिले में एक पिता ने अपने बेटे को 10वीं कक्षा की पूरक परीक्षा दिलवाने के लिए उसके साथ 105 किलोमीटर का सफर आठ घंटे साइकिल चलाकर तय किया।
धार, जेएनएन। मध्य प्रदेश के धार जिले में एक पिता ने अपने बेटे को 10वीं कक्षा की पूरक परीक्षा दिलवाने के लिए उसके साथ 105 किलोमीटर का सफर रात में आठ घंटे साइकिल चलाकर तय किया। 46 साल के शोभाराम परिहार सोमवार रात को अपने गांव धार जिले के बयड़ीपुरा से निकले। वह पर्चे के तय समय से ठीक पहले मंगलवार सुबह अपने बेटे आयुष को लेकर धार जिले के ही भोज कन्या स्कूल पहुंच गए। शोभाराम खुद अशिक्षित हैं, लेकिन उनमें बेटे की इच्छा के अनुसार उसे अधिकारी बनाने का जज्बा है।
24 अगस्त को होना है एक और पेपर
कोरोना के चलते मध्य प्रदेश में बसों एवं अन्य सार्वजनिक वाहनों का परिचालन बंद है। इस कारण शोभाराम ने पहले तो बेटे को पूरक परीक्षा नहीं दिलवाने का फैसला किया लेकिन बेटे की जिद और अपने जज्बे के दम पर सोमवार रात 105 किमी लंबे सफर पर वह निकले पड़े। जिस साइकिल से सफर किया वह भी बेटे आयुष परिहार को कक्षा नौवीं में सरकारी योजना के तहत मिली थी। अब आयुष का 24 अगस्त को एक पेपर और होना है।
टीनशेड के नीचे गुजारी रात
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा में जिन विद्यार्थियों को पूरक मिली है, उनके लिए राज्य सरकार ने 'रुक जाना नहीं योजना' शुरू की है। बेटे का एक पेपर मंगलवार को हो गया लेकिन रात गुजारने की व्यवस्था नहीं थी। इतने पैसे भी नहीं थे कि होटल-लॉज में रुक सकें इसलिए बेटे के साथ स्थानीय किला मैदान के टीनशेड में चादर ओढ़कर सो गए। बुधवार की सुबह बेटे को दूसरा पेपर दिलवाया।
दो हजार रुपये उधार लिए
शोभाराम ने बताया कि गांव में कोई मदद नहीं करता है। सोमवार रात करीब 12 बजे वह गांव से धार के लिए बेटे को लेकर निकले थे। रास्ते में कई मुश्किलें आई लेकिन मंगलवार सुबह 7.45 मिनट पर बेटे को परीक्षा केंद्र पर पहुंचा दिया। शोभाराम में बताया उन्होंने एक परिचित से दो हजार रुपये उधार लिए थे। 1500 रुपये बेटे के परीक्षा फॉर्म में लग गए। 500 रुपये साथ लाए थे।
छात्रावास में ठहराया, पूरी मदद की जाएगी
धार के कलेक्टर आलोक कुमार सिंह कहते हैं कि बालक और उसके पिता की पूरी मदद की जाएगी। मैंने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए हैं। बालक और उसके पिता को छात्रावास में रुकवा दिया गया है। साथ ही उनके भोजन सहित अन्य व्यवस्थाएं कर दी गई हैं। बालक और उसके पिता को सुरक्षित तरीके से परीक्षा के बाद घर भेजने की भी व्यवस्था की जाएगी।