देश भर के स्कूलों के लिए बने एक कामन पाठ्यक्रम, शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने की सिफारिश
स्कूली शिक्षा को एक जैसा स्वरूप देने के लिए संसद की स्थायी समिति ने देश भर के स्कूलों के लिए एक समान (कामन) पाठ्यक्रम विकसित करने का सुझाव दिया है। साथ ही शिक्षा मंत्रालय से कहा है कि वह इससे जुड़ी संभावनाओं पर काम करें।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सीबीएसई, आइसीएससी और राज्य शिक्षा बोर्डो में बंटी स्कूली शिक्षा को एक जैसा स्वरूप देने के लिए संसद की स्थायी समिति ने देश भर के स्कूलों के लिए एक समान (कामन) पाठ्यक्रम विकसित करने का सुझाव दिया है। साथ ही शिक्षा मंत्रालय से कहा है कि वह इससे जुड़ी संभावनाओं पर काम करें। स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले सभी विषयों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए। समिति का कहना है कि इससे स्कूली शिक्षा में एकरूपता आएगी और देश भर के सभी स्कूली छात्रों का एक ही शैक्षणिक स्टैंडर्ड होगा।
सीबीएसई, आइसीएसई और राज्यों के शिक्षा बोर्डों के साथ इस पर काम करने का दिया सुझाव
भाजपा सांसद डा विनय सहस्त्रबुद्धे की अगुवाई वाली शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने स्कूली शिक्षा को लेकर यह अहम सिफारिश उस समय की है, जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल का काम तेजी से चल रहा है। इसके तहत स्कूलों के लिए नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें भी तैयार होनी हैं। हालांकि इससे पहले ही समिति की 'स्कूली पाठ्यपुस्तकों की विषयवस्तु और डिजाइन में सुधार' के संबंध में यह सिफारिश इसलिए भी अहम है, क्योंकि मौजूदा समय में देश में अलग-अलग शिक्षा बोर्डों से संबंद्ध स्कूल है। ऐसे में इन स्कूलों में अभी एक जैसा पाठ्यक्रम नहीं है।
पूरी सतर्कता से काम करने की जरूरत पर जोर
समिति से जुड़े सदस्यों की मानें तो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत जब स्कूलों के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार ही होना है, तो फिर इन सिफारिशों पर भी विचार किया जा सकता है। संसदीय समिति ने इसके साथ ही स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली इतिहास से जुड़ी विषयवस्तु तैयार करने में पूरी सतर्कता से काम करने की जरूरत पर जोर दिया है। समिति ने अपनी सिफारिश में करीब 25 बिंदु शामिल किए हैं।
पाठ्यपुस्तकों में स्कूलों बच्चों को इंटरनेट की लत और नशा से प्रति भी जागरूक करने से जुड़े पहलुओं को शामिल करने की सिफारिश की गई है। समिति ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों में महिलाओं और लड़कियों के कम प्रतिनिधित्व पर भी सवाल खड़े किए और विकसित की जा रही पाठ्यपुस्तकों में महिलाओं के योगदान को आगे लाने का सुझाव दिया। इससे लड़कियों में आत्म सम्मान और आत्मविश्वास पैदा करने में मदद मिलेगी। समिति ने स्कूलों में तकनीक के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर भी जोर दिया है।