सातवीं सदी से भी पहले का है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नीचे निकला 'मंदिर'
यह अवशेष मार्च 2018 के अंतिम सप्ताह में हुई खुदाई के दौरान निकला था।
ओंकारेश्वर, नईदुनिया, हरीश शर्मा। तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में बहुत-सी ऐतिहासिक और पुरातात्विक संपदा मौजूद है। अनादिकाल में यहां अध्यात्म का प्रमुख केंद्र रहा होगा। यहां मौजूद अवशेष और हाल ही में भगवान ज्योतिर्लिंग मंदिर के नीचे खुदाई में निकला मंदिर सातवीं सदी से भी पुराना लगता है।
यह बात खुदाई में निकले मंदिर का निरीक्षण करने आए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के हेरिटेज आर्कियोलॉजिस्ट मुनीष पंडित ने मंगलवार को नईदुनिया से विशेष बातचीत में कही। यह मंदिर दर्शन हॉल बनाने के लिए साधारण द्वार के सामने की सीढ़ियों की खुदाई के बीच निकला था। यह अवशेष मार्च 2018 के अंतिम सप्ताह में हुई खुदाई के दौरान निकला था। पंडित ने बताया कि भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के नीचे जो मंदिर निकला है, उसकी बनावट व आर्किटेक्टर देखकर लगता है कि यह सातवीं शताब्दी से भी पहले का है। वे इस संबंध में एक रिपोर्ट विभाग को सौंपेंगे।
पंडित के अनुसार अभी तक यह मान्यता है कि मनुष्य दक्षिण भारत से ही पूरे विश्व में गया है। ओंकारेश्वर के ओंकार पर्वत पर बने मंदिर और वहां बिखरे अवशेषों को देखकर यह प्रमाणित होता है कि ओंकारेश्वर अनादिकाल में ऋषि मुनियों और साधु-संन्यासियों की तपोभूमि और अध्यात्म का केंद्र रही है। इतिहास में उल्लेख है कि भगवान आदिगुरु शंकराचार्य के गुरु गोविंदपदाचार्य की तपोस्थली भी है। ओंकार पर्वत का वर्णन तो यजुर्वेद में भी मिलता है। इन मंदिरों को बनाने के लिए जिन पत्थरों का उपयोग किया गया वे पत्थर भी यहां के नहीं हैं। ये कहीं बाहर से लाकर मंदिर बनाए गए हैं।
आक्रमण या भूकंप से क्षतिग्रस्त हुए होंगे मंदिर!
पंडित ने बताया कि ओंकार पर्वत पर जो मंदिर जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं, इन मंदिरों को या तो तोड़ा गया या भूकंप के कारण नष्ट हुए हैं। सभी मंदिरों को संरक्षित कर विश्व के सामने यह भी प्रमाणित किया जा सकता है कि भारत अनादिकाल से संस्कृति व आध्यात्म में सबसे आगे है। उस समय के राजा-महाराजाओं ने परिस्थितिवश मौजूदा संसाधनों के हिसाब से जिस तरह का सुधार संभव था, करवा दिया।
'ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के नीचे निकले ढांचे का इतिहास और मजबूती आदि का पता लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सर्वे किया जा रहा है। इसकी खुदाई जारी रखने और इसे संरक्षित करने आदि का निर्णय इसकी रिपोर्ट के बाद ही लिया जाएगा।'
- ममता खेड़े, एसडीएम और मुख्य कार्यपालन अधिकारी ओंकारेश्वर मंदिर