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कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए 845 बच्चों को मिलेगा पीएम केयर्स योजना का लाभ

कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए 845 बच्चों को पीएम केयर्स फार चिल्ड्रन योजना का लाभ मिलेगा। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि योजना के तहत सहयोग हासिल करने के लिए कुल 3915 आवेदन मिले थे।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 05:18 PM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 05:18 PM (IST)
कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए 845 बच्चों को मिलेगा पीएम केयर्स योजना का लाभ
845 बच्चों को मिलेगा पीएम केयर्स योजना का लाभ। (फोटो- एएनआइ)

नई दिल्ली, एजेंसियां। कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए 845 बच्चों को पीएम केयर्स फार चिल्ड्रन योजना का लाभ मिलेगा। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि योजना के तहत सहयोग हासिल करने के लिए कुल 3,915 आवेदन मिले थे। इनमें 845 आवेदनों को मंजूरी दी गई। अधिकारी ने कहा कि मौजूदा समय में 2,000 रपये मासिक की सहायता दी जा रही है, जिसे ब़़ढाकर 4,000 रुपये प्रति माह किया जाएगा।

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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय केंद्र सरकार के स्तर पर इस योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय होगा। राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में महिला एवं बाल विकास विभाग या सामाजिक न्याय विभाग के पास योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी होगी। उल्लेखनीय है कि अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल की दूसरी वषर्षगांठ की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 29 मई को कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए कल्याणकारी योजना की घोषणा की थी। ऐसे बच्चों को 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर मासिक वित्तीय सहायता और 23 वर्ष की आयु पूरी करने पर पीएम केयर्स फंड से करीब 10 लाख रुपये की राशि मिलेगी।

बता दें कि कोरोना महामारी के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की व्यापक देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पीएम केयर्स फार चिल्ड्रन योजना की शुरुआत की गई। यह योजना ऐसे बच्चों को स्वास्थ्य बीमा और शिक्षा के में सहायता प्रदान करके मदद करेगी। दिशानिर्देशों के अनुसार लाभार्थियों का खाता खोलने व सत्यापन होने पर एकमुश्त राशि सीधे उनके डाकघर खाते में ट्रांसफर की जाएगी। 

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट जिले में योजना का संचालन करेंगे। डीएम सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए इस योजना के तहत इन बच्चों के अभिभावक के रूप में कार्य करेंगे। डीएम बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) और जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू) की सहायता से लाभार्थियों की पहचान करेंगे। लाभार्थी की प्रामाणिकता के बारे में खुद को संतुष्ट करने के बाद, वह पीएम केयर्स फार चिल्ड्रन पोर्टल पर बच्चे के विवरण को सत्यापित और पुष्टि करेंगे।


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