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एयर एशिया व विस्तारा के गले की फांस बना 5/20 नियम

कभी एयर इंडिया को बचाने के लिए बनाया गया 5/20 नियम अब निजी क्षेत्र की स्थापित एयरलाइनों का रक्षा कवच बन गया है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 12 Mar 2016 08:18 PM (IST)Updated: Sat, 12 Mar 2016 08:27 PM (IST)
एयर एशिया व विस्तारा के गले की फांस बना 5/20 नियम

नई दिल्ली। कभी एयर इंडिया को बचाने के लिए बनाया गया 5/20 नियम अब निजी क्षेत्र की स्थापित एयरलाइनों का रक्षा कवच बन गया है। एयर इंडिया ने तो इस नियम को खत्म करने की सहमति दे दी है लेकिन इंडिगो, जेट एयरवेज और स्पाइसजेट जैसी जमी-जमाई एयरलाइनें अभी भी इसके लिए तैयार नहीं हैं और इस नियम को बनाए रखने पर अड़ी हुई हैं। ऐसे में एयर एशिया और विस्तारा के अधिकारियों के रक्तचाप के साथ नई विमानन नीति के लिए उद्योग का इंतजार बढ़ता जा रहा है।

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नई विमानन नीति की घोषणा से पहले एविएशन रूल 5/20 को लेकर एयरलाइनों के बीच घमासान मचा है। एक तरफ एयर एशिया और विस्तारा जैसी नई एयरलाइनें हैं जो इस नियम के सख्त खिलाफ हैं और अपना धंधा बढ़ाने के लिए इसे खत्म किए जाने की मांग कर रही हैं। जबकि दूसरा पक्ष इंडिगो, जेट एयरवेज और स्पाइसजेट जैसी स्थापित एयरलाइनों का है, जिन्हें इस नियम के बने रहने में ही अपना भविष्य उज्ज्वल दिखाई पड़ रहा है।

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नियम 5/20 के तहत घरेलू एयरलाइनों को पांच साल बाद ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की अनुमति मिलती है। वह भी तब जब उनके पास कम से कम 20 विमानों का बेड़ा हो। एयर एशिया इंडिया और विस्तारा शुरू से ही इस नियम का विरोध कर रही हैं। एयर एशिया के सीईओ टोनी फर्नांडिस कई बार इस नियम के खिलाफ बोल चुके हैं।

उन्होंने इसे भारतीय विमानन उद्योग के विकास में सबसे बड़ी बाधा बताकर इसकी तीखी आलोचना की है। कुछ इसी प्रकार के विचार प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा ने व्यक्त किए हैं, जिनके टाटा संस की एयर एशिया इंडिया और विस्तारा (टाटा-सिया) दोनों में प्रमुख हिस्सेदारी है। जिसके जवाब में स्थापित एयरलाइनों ने टोनी और टाटा पर आरोप लगाया है कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन कर भारतीय विमानन बाजार में प्रवेश किया है।

बहरहाल, इस जंग से कुल मिलाकर विमानन उद्योग का नुकसान हो रहा है। और दोनों लॉबियों के दबाव में सरकार नई विमानन नीति की घोषणा नहीं कर पा रही है। जबकि वह दिल से 5/20 नियम को खत्म करने के पक्ष में है।

दूसरी ओर, इस नीतिगत अनिश्चितता से विस्तारा और एयर एशिया को अपनी भविष्य की योजनाएं बनाने में दिक्कत हो रही है। दोनों एयरलाइनें इसी उम्मीद में आई थीं कि शीघ्र ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की अनुमति मिल जाएगी, जिससे उन्हें अपने कारोबार का विस्तार करने और घरेलू बाजार में प्रतिस्पद्र्धा खड़ी करने में मदद मिलेगी। लेकिन यह नहीं हो पा रहा है। विस्तारा तो अपनी बेहतर सेवाओं के बूते ठीक-ठाक प्रदर्शन कर रही है। परंतु एयर एशिया इंडिया को संघर्ष करना पड़ रहा है।


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