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DATA STORY: भारत के उच्च न्यायालयों में लंबित हैं 51 लाख केस, इलाहाबाद हाईकोर्ट में सबसे ज्यादा मामले

देशभर के उच्च न्यायालयों में 51 लाख मामले (16 सितंबर 2020 तक) लंबित थे। संसद में यह आंकड़ा केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया। इस अवसर पर उन्होंने जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित मामलों की भी जानकारी दी।

By Vineet SharanEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 08:44 AM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 05:46 PM (IST)
DATA STORY: भारत के उच्च न्यायालयों में लंबित हैं 51 लाख केस, इलाहाबाद हाईकोर्ट में सबसे ज्यादा मामले
सबसे अधिक मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित हैं।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/पीयूष अग्रवाल। देशभर के उच्च न्यायालयों में 51 लाख मामले (16 सितंबर, 2020 तक) लंबित थे। संसद में यह आंकड़ा केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया। इस अवसर पर उन्होंने जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित मामलों की भी जानकारी दी। 16 सितंबर तक 3.45 करोड़ मामले विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की जिला और अधीनस्थ अदालतों में लंबित थे।सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देशभर के उच्च न्यायालयों में 51,52,921 मामले लंबित हैं, जिनमें 36,77,089 (71 फीसदी) सिविल और 14,75,832 (29 फीसदी) क्रिमिनल मामले हैं।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट में सबसे अधिक मामले लंबित

सरकारी डाटा के अनुसार, सबसे अधिक मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट में (7,46,677 या 14%) लंबित हैं। इनमें 3,99,710 सिविल मामले हैं और 3,46,967 क्रिमिनल मामले हैं। पंजाब और हरियाणा हरियाणा कोर्ट में 6,07,069 (12%) मामले लंबित हैं।

यूपी के जिला और अधीनस्थ अदालतों में सबसे अधिक मामले लंबित

यूपी के जिला और अधीनस्थ अदालतों में कुल 3,44,73,068 मामले लंबित हैं, जिनमें से 94,49,268 (27%) सिविल मामले और 2,50,23,800 (73%) क्रिमिनल मामले हैं। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश (81,86,410 या 24%) में लंबित हैं। इसके बाद महाराष्ट्र (42,21,418 या 12 फीसदी) और बिहार (30,94,186 या 9%) से आते हैं।

ग्राम अदालतों की व्यवस्था 

लंबित मामलों को कम करने को लेकर कानून मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ग्राम न्यायालय एक्ट के तहत इंटरमीडिएट पंचायत स्तर पर ग्राम न्यायालय बना रही है। लिखित उत्तर में कहा गया राज्य सरकारें/उच्च न्यायालय ने 12 राज्यों में 395 ग्राम अदालतों को नोटिफाई किया है, जिनमें से 225 वर्तमान में ऑपरेशनल हैं। राज्य सरकारें संबंधित उच्च न्यायालयों से सलाह के बाद लोकल मुद्दों का आकलन कर ग्राम अदालतों का गठन कर सकती हैं। जिला और अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामलों को अधिकार क्षेत्र के अनुसार ग्राम अदालतों में ट्रांसफर किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने ग्राम अदालत को स्थापित और ऑपरेट करने के लिए आर्थिक मदद की।

बीते हफ्ते कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक प्रश्न के उत्तर में सुप्रीम कोर्ट और देश के विभिन्न हाईकोर्ट में महिला जजों की संख्या के बारे में जानकारी दी। कानून मंत्री ने लिखित जवाब में कहा था कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में कुल 1,113 न्यायाधीश हैं, जिनमें 34 न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट के शामिल हैं। इनमें से केवल 80 महिला जज हैं, जो कुल न्यायधीशों की संख्या का 7.2% है। इन 80 महिला जजों में से दो जज ही सुप्रीम कोर्ट में हैं, जबकि 78 विभिन्न उच्च न्यायालयों में हैं। 


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