उत्कल विवि का दीक्षांत समारोह: उपराष्ट्रपति ने कहा- नौकरी के पीछे दौड़ने के बजाए खुद बनें नियोक्ता
आदिवासियों की संस्कृति व परंपराओं को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासियों का सरल जीवन प्रशंसनीय है। राज्य में 23 फीसद आबादी आदिवासियों की है। इनकी संस्कृति ने ही इन्हें कोरोना जैसी महामारी से बचाकर रखा है।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि शिक्षा सफल जीवन की पहली सीढ़ी है। चरित्र निर्माण में इसकी प्रमुख भूमिका है। शिक्षा छात्रों को अनुशासित बनाती है। अनुशासन एवं कठिन परिश्रम सफलता के मूलमंत्र हैं। उन्होंने युवाओं से नौकरी के पीछे दौड़ने के बदले विश्वास के साथ आगे बढ़ने तथा खुद नियोक्ता बनने का आह्वान किया। वह शनिवार को उत्कल विश्वविद्यालय के 50वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा- आदिवासियों को उनकी संस्कृति ने कोरोना से बचाया
आदिवासियों की संस्कृति व परंपराओं को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासियों का सरल जीवन प्रशंसनीय है। राज्य में 23 फीसद आबादी आदिवासियों की है। इनकी संस्कृति ने ही इन्हें कोरोना जैसी महामारी से बचाकर रखा है। यूनिवर्सिटी को आदिवासी समुदाय पर फोकस करने तथा उस पर शोध करने की उन्होंने सलाह दी। इस दौरान उन्होंने ओडिशा आपदा प्रबंधन की टीम की भी सराहना की।
नायडू ने आरबीआइ गवर्नर समेत 5 विशिष्ट व्यक्तियों को डाक्टरेट की उपाधि प्रदान की
उपराष्ट्रपति ने इस दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान करने वाले पांच विशिष्ट व्यक्तियों को डाक्टरेट की उपाधि प्रदान की। इनमें आरबीआइ के गवर्नर शक्तिकांत दास, सीएजी गिरीश चंद्र मुर्मू, ओडिशा हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजू पंडा, भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर के निदेशक अजीत कुमार महांती और ओडिशा आदर्श विद्यालय संगठन के सलाहकार तथा साई इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक डॉ. विजय कुमार साहू शामिल हैं।
उपराष्ट्रपति ने सांसद सामंत द्वारा लिखित पुस्तक का किया लोकार्पण
उपराष्ट्रपति ने राजभवन में सांसद अच्युत सामंत द्वारा अंग्रेजी में लिखित पुस्तक 'नीलिमारानी माई मदर, माई हीरो' का लोकार्पण भी किया। मां की आत्मकथा पहली बार देख रहा हूं। लोकार्पित पुस्तक नारीजाति के लिए प्रेरणा है।
राज्यपाल ने कहा- मानवता की सेवा ही नहीं, अपितु पूजा भी करनी चाहिए
राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल ने कहा कि हमें केवल मानवता की सेवा ही नहीं करनी चाहिए, अपितु मानवता की पूजा भी करनी चाहिए।