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Kulbhushan Jadhav Verdict: कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक, हेग में भारत को मिली बड़ी जीत

Kulbhushan Jadhav Verdict कुलभूषण जाधव मामले में भारत को बड़ी जीत हासिल हुई है। आइसीजे ने पाकिस्तान को फांसी की सजा पर प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 11:06 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 07:23 AM (IST)
Kulbhushan Jadhav Verdict: कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक, हेग में भारत को मिली बड़ी जीत
Kulbhushan Jadhav Verdict: कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक, हेग में भारत को मिली बड़ी जीत

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। Kulbhushan Jadhav Verdict live,पाकिस्तान के जेल में बंद भारतीय नौ सेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को बचाने में जुटी भारत सरकार को बड़ी जीत हासिल हुई है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) ने भारत सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए पाकिस्तान की 'सैन्य कोर्ट' की तरफ से जाधव को दी गई फांसी की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी है। साथ ही, पाकिस्तान को विएना समझौते का पालन नहीं करने पर फटकार लगाई है और आदेश दिया है कि भारतीय राजनयिकों को जाधव से मिलने की इजाजत (काउंसिलर एक्सेस) दी जाए।

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जाधव को दी गई सजा की समीक्षा करने का आदेश भी आइसीजे ने दिया है। हालांकि, इससे उनकी रिहाई की फिलहाल सूरत नहीं बनती है, लेकिन यह उम्मीद बंधती है कि पाकिस्तान में जब उनके खिलाफ नए सिरे से कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी तो जाधव भारत सरकार की मदद से अपनी बात ज्यादा निष्पक्ष माहौल में रख सकेंगे। पूरे फैसले में सोलह न्यायाधीशों में से पंद्रह एक मत के थे, जबकि केवल पाकिस्तान से आनेवाले न्यायाधीश टीएस गिलानी ने हर मुद्दे पर अपना अलग मत दिया।

पाकिस्तान ने 2017 में फांसी की सजा सुनाई थी
जाधव को पाकिस्तान के एक सैन्य कोर्ट ने जासूसी और आतंकवाद के आरोप में अप्रैल, 2017 में फांसी की सजा सुनाई थी। भारत उसका कड़ा विरोध करते हुए मामले को आइसीजे ले गया था। आइसीजे में यह मामला तकरीबन दो वर्ष दो महीने तक चला। इस बीच भारत व पाकिस्तान के रिश्तों में काफी तल्खी आने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह मामला काफी उछला। 

फांसी पर लगी रोक
पांच महीने पहले ही हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) ने फांसी की सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी। बुधवार को मामले पर फैसला सुनाते हुए आइसीजे ने जाधव को लेकर पाकिस्तान के रवैये की भी एक तरह से कलई खोल दी। कोर्ट के 16 सदस्यीय न्यायाधीशों की पीठ में 15-1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया यानी 15 न्यायाधीशों ने भारत के पक्ष का समर्थन दिया। न्यायालय ने इस मामले को सुनने के आइसीजे के अधिकार को लेकर पाकिस्तान की आपत्तियों को सिरे से खारिज किया है और साफ तौर पर कहा है कि दूसरे देश के अधिकारी या सैन्यकर्मी को पकड़े जाने पर लागू विएना समझौते के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने कदम नहीं उठाये हैं।

पाकिस्तान ने जाधव को उसके अधिकार के बारे में नहीं बताया
पाकिस्तान ने इस समझौते की धारा 36 के तहत जाधव को उसके अधिकार के बारे में नहीं बताया। इतना ही नहीं,भारत को भी जाधव की गिरफ्तारी के बारे में तुरंत जानकारी नहीं दी और काउसंलर एक्सेस (भारतीय राजनयिकों को जाधव से मिलने की इजाजत) नहीं दी। भारत को अपने नागरिक तक राजनयिक पहुंच बनाने की इजाजत दी जानी चाहिए थी, ताकि उसे सही कानूनी प्रतिनिधित्व दिया जा सके। ऐसे में न्यायालय ने जाधव की फांसी पर लगी रोक को आगे भी जारी रखने का आदेश दिया है। 

कूटनीतिक पहुंच से क्या होगा फायदा
न्यायालय ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि आगे पाकिस्तान में जाधव के खिलाफ मामला कहां चलाया जाएगा, लेकिन भारतीय पक्षकारों का कहना है कि मामला वहां की सैन्य कोर्ट में चलाया जाए या सामान्य कोर्ट में कूटनीतिक पहुंच मिलने का काफी असर होगा। अभी तक जाधव को भारतीय अधिकारियों से मिलने भी नहीं दिया गया है। ऐसे में भारत को यह मालूम भी नहीं है कि पाकिस्तान के सैन्यबल के हाथ चढ़ने के बाद जाधव के साथ क्या-क्या हुआ है। राजनयिक से मिलने के बाद भारत के लिए कानूनी कार्रवाई करना आसान होगा। संभवत: जाधव पर नए सिरे से कानूनी कार्रवाई वहां की सैन्य अदालत में ही होगी, लेकिन अब जाधव के पास तमाम कानूनी अधिकार होंगे। वह अपनी मर्जी से वकील का चुनाव कर सकेंगे।

आइसीजे ने भारत के इस मांग को किया खारिज 
वैसे भारत ने जाधव के खिलाफ पाकिस्तान में दायर मामले को निरस्त करने और उन्हें पाकिस्तान की जेल से रिहा करवाने की मांग भी कोर्ट से की थी जिसे आइसीजे ने खारिज कर दिया है। पाकिस्तान का दावा है कि जाधव को बलूचिस्तान में आतंकी वारदातों को भड़काने की साजिश रचते हुए गिरफ्तार किया था। दूसरी तरफ भारत का कहना है कि जाधव अपने व्यक्तिगत कारोबार के सिलसिले में ईरान गए थे, वहां से अगवा कर पाकिस्तान ले जाया गया है।

पाकिस्तान ने जाधव को उनकी पत्नी और मां से मिलने की इजाजत जरुर दी थी, लेकिन उन्हें जिस माहौल में मिलाया गया था वह भी काफी सवाल पैदा करने वाला था। आइसीजे में भारत के वकील हरीश साल्वे ने ना सिर्फ जाधव के मामले में पाकिस्तान की कानून-व्यवस्था की कलई खोली थी, बल्कि वहां जिस तरह से सैन्य कोर्ट काम करते हैं उसे भी सार्वजनिक किया था।

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