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लॉकडाउन के चलते दुनियाभर में 40 हजार भारतीय समुद्री नाविक फंसे, सरकार ने दिया भरोसा

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते दुनिया भर में 40 हजार भारतीय समुद्री नाविक अभी भी विभिन्‍न जहाजों पर फंसे हुए हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 06:24 PM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 07:49 PM (IST)
लॉकडाउन के चलते दुनियाभर में 40 हजार भारतीय समुद्री नाविक फंसे, सरकार ने दिया भरोसा
लॉकडाउन के चलते दुनियाभर में 40 हजार भारतीय समुद्री नाविक फंसे, सरकार ने दिया भरोसा

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। कई मुल्‍क इन दिनों दुनिया के दूसरे हिस्‍सों में फंसे अपने नागरिकों को निकालने की जद्दोजहद कर रहे हैं। इस बीच समाचार एजेंसी पीटीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर में 40 हजार भारतीय समुद्री नाविक, चालक दल के सदस्य विभिन्‍न जहाजों में फंसे हुए हैं। इन भारतीयों को अपने वतन वापसी का इंतजार है। वहीं सरकार ने लॉकडाउन हटने के बाद उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया है। 

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समुद्री सेवाओं से संबद्ध विभिन्न संगठनों जैसे एनयूएसआई (National Union of Seafarers of India), एमयूआई (Maritime Union of India) और एमएससए (Maritime Association of Shipowners, Shipmanagers and Agents) जैसे समुद्री संगठनों ने बताया है कि करीब 15 हजार समुद्री नाविक मालवक जहाजों पर जबकि 25,000 यात्री जहाजों पर मौजूद हैं। इन संगठनों ने जहाजरानी मंत्रालय (Shipping Ministry) के साथ इस मसले को उठाया है। 

एनयूएसआई (National Union of Seafarers of India) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी कैप्टन शिव हाल्बे ने कहा कि ऐसा अनुमान है कि दुनिया भर में करीब 40 हजार भारतीय समुद्री नाविक मलवाहक जहाजों और यात्री जहाजों पर फंसे हैं। वे सभी वतन वापसी के लिए बेताब हैं। उनका रोजगार अनुबंध भी समाप्‍त हो चुका है। इस मसले पर जहाजरानी मंत्री मनसुख लाल मांडविया ने लॉकडाउन हटने के बाद सभी की सुरक्षित वापसी का भरोसा दिया है।

हालांकि केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि इन सभी नाविकों की पहले जांच की जाएगी और बाद में उन्हें कुछ दिन बिल्कुल क्‍वारंटाइन रखा जाएगा। इन संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय मंत्री (Mansukh Lal Manadaviya) के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन नाविकों को जरूरी सेवा देने वाले कर्मचारियों की श्रेणी में रखने और बंदरगाहों पर सुगम राहत सुविधा मुहैया कराने की जरूरत है। 


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