मोदी सरकार के दौरान एनजीओ को विदेश से मिलने वाले चंदे में 40 फीसद की गिरावट
समाजसेवियों का निजी योगदान बढ़ा है। वित्त वर्ष 2014-15 में कुल निजी वित्त पोषण 60 हजार करोड़ रुपये था जो 2017-18 में बढ़कर 70 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
मुंबई, प्रेट्र। गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को विदेश से मिलने वाले चंदे में पिछले चार वर्षो में 40 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।
विदेशी परामर्शदाता फर्म बेन एंड कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार, नरेंद्र मोदी सरकार में गृह मंत्रालय ने 13 हजार से अधिक एनजीओ के लाइसेंस रद किए। रिपोर्ट में कहा गया है, 'विदेशी चंदे में करीब 40 फीसद कमी आई है। विदेशी चंदे को अधिनियमित करने वाले एफसीआरए के उल्लंघन पर सरकार द्वारा एनजीओ पर की गई कार्रवाई के कारण ऐसा हुआ।'
कई संगठनों ने सरकारी कार्रवाई का विरोध किया और इसे कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया। मोदी सरकार ने पिछले साल रिजर्व बैंक के बोर्ड के सदस्य नचिकेत मोर का कार्यकाल कम कर दिया था। मोर भारत में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के निदेशक हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने मोर को हटाने के लिए अभियान चलाया था। फोर्ड फाउंडेशन और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे बड़े विदेशी एनजीओ को भी सरकार की कार्रवाई का सामना करना पड़ा।
हालांकि, इस दौरान समाजसेवियों का निजी योगदान बढ़ा है। वित्त वर्ष 2014-15 में कुल निजी वित्त पोषण 60 हजार करोड़ रुपये था जो 2017-18 में बढ़कर 70 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
भारतीय उद्योग जगत ने इस अवधि में कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत 13 हजार करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो 12 फीसद ज्यादा है। व्यक्तिगत दानकर्ताओं ने 43,000 करोड़ रुपये का योगदान दिया जो 21 फीसद ज्यादा रहा।