38 कोयला खदानों को वाणिज्यिक खनन के लिए किया जाएगा निलाम: कोयला मंत्रालय
कोयला मंत्रालय ने कहा कि कोयला खनन के लिए कोयला खदानों की सूची में संशोधन किया गया है और 38 खानों को वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी के लिए पेश किया जाएगा।
नई दिल्ली, एएनआइ। कोयला मंत्रालय ने कहा कि कोयला खनन के लिए कोयला खदानों की सूची में संशोधन किया गया है और 38 खानों को वाणिज्यिक खनन के लिए नीलाम किया जाएगा। मंत्रालय के अनुसार, खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के तहत डोलसरा, जरेकेला और झारपालम-तंगारघाट कोयला खदानों को नीलामी के प्रथम चरण में रखा गया।
"एमएमडीआर अधिनियम, 1957 के तहत नीलामी के 1 ट्रेंच से मोर्गा दक्षिण कोयला खदान की निकासी। फतेहपुर पूर्व, मदनपुर (उत्तर), मोरगा-द्वितीय, और सियांग कोयला खानों की निकासी सीएम (एसपी) के तहत नीलामी के 11 वें चरण से हटाया गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला खानों की नीलामी प्रक्रिया 18 जून, 2020 को शुरू की गई थी। बयान में कहा गया है, "इसलिए, एमएमडीआर अधिनियम, 1957 के तहत सीएम (एसपी) अधिनियम, 2015 और नीलामी के प्रथम ट्रेंच के तहत नीलामी के लिए वाणिज्यिक खनन के लिए 38 कोयला खदानों की पेशकश की जाती है।
इन सबके बीच झारखंड भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने केंद्रीय कोयला मंत्री को पत्र लिख कर हस्तक्षेप की मांग की थी। झारखंड में राज्य सरकार ने 18 अगस्त को कैबिनेट की बैठक कर राज्य के 7 लौह अयस्क खदान को रिजर्व करने का फैसला लिया था। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार के फैसले को जनहित के खिलाफ बताया था और केंद्रीय कोयला मंत्री को पत्र लिखा था। बाबूलाल मरांडी ने पत्र में लिखा था कि झारखंड को इस फैसले से 40 हजार करोड़ का नुकसान होगा। इतना ही नहीं पत्र में बाबूलाल ने जीसेमडीसी की क्षमता पर भी सवाल उठाए थे।
पत्र में आगे मांग की गई है कि इन खदानों की नीलामी से जो पैसे आएंगे वो राज्य के खजाने में भाजा जाए।
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