तंबाकू उत्पादों पर लग सकता है 37 प्रतिशत सेस
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस पर सहमति बन गयी है। माना जा रहा है कि तंबाकू उत्पादों पर लगने वाले सैस की दर 37 प्रतिशत तक हो सकती है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर लागू होने पर तंबाकू उत्पाद, पान मसाला, शीतल पेय और लग्जरी गाडि़यों पर अतिरिक्त सैस लगेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस पर सहमति बन गयी है। माना जा रहा है कि तंबाकू उत्पादों पर लगने वाले सैस की दर 37 प्रतिशत तक हो सकती है।
असल में तंबाकू उत्पादों पर फिलहाल औसतन 65 प्रतिशत टैक्स है। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि तंबाकू उत्पादों पर मौजूदा टैक्स और जीएसटी की अधिकतम दर (28 प्रतिशत) के अंतर के बराबर सैस लगेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि सैस की दर 37 प्रतिशत के आस पास हो सकती है। हालांकि इस संबंध में आधिकारिक तौर पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। वैसे इस बात का निर्णय हो चुका है कि तंबाकू उत्पादों पर जीएसटी की उच्चतम दर 28 प्रतिशत ही लागू होगी। यह भी स्पष्ट है कि सरकार तंबाकू उत्पादों और लग्जरी गाडि़यों पर सैस की दर अलग-अलग रखेगी।
अब तक कुछ राज्य तंबाकू उत्पादों पर सैस लगाने के बजाय इसे जीएसटी की 40 प्रतिशत दर में रखने की वकालत कर रहे थे। हालांकि जीएसटी काउंसिल को यह सुझाव रास नहीं आया। उल्लेखनीय है कि मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली समिति ने भी तंबाकू उत्पादों को 40 प्रतिशत की श्रेणी में रखने की सिफारिश की थी।
वित्त मंत्री का कहना है कि सैस के माध्यम से जुटाई जाने वाली राशि का इस्तेमाल सरकार राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई के लिए करेगी। यह सैस शुरु में पांच साल के लिए लगाया जाएगा लेकिन जीएसटी काउंसिल समय-समय पर इसकी समीक्षा करेगी। जेटली का कहना है कि सैस से जुटाई गई जो राशि बचेगी उसे राज्यों में बांट दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि तंबाकू उत्पादों से फिलहाल भी केंद्र और राज्यों को बड़ी राजस्व प्राप्ति होती है। वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी इसका इस्तेमाल नियंत्रित करने के लिए अधिक टैक्स रखने की वकालत करते हैं।