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Bhopal Gas Tragedy: 35 साल में भी नहीं हटाया जा सका यूनियन कार्बाइड में रखा 340 टन जहरीला कचरा

Bhopal Gas Tragedy भोपाल गैस पीड़ित संगठनों का आरोप है कि यूनियन कार्बाइड कारखाना परिसर में करीब 20 हजार टन जहरीला कचरा दबाया गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 12:00 AM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 07:37 AM (IST)
Bhopal Gas Tragedy: 35 साल में भी नहीं हटाया जा सका यूनियन कार्बाइड में रखा 340 टन जहरीला कचरा
Bhopal Gas Tragedy: 35 साल में भी नहीं हटाया जा सका यूनियन कार्बाइड में रखा 340 टन जहरीला कचरा

भोपाल, [जागरण स्पेशल]। भोपाल गैस कांड से यूनियन कार्बाइड कारखाने में पड़े 340 टन जहरीले कचरे को 35 साल में भी नष्ट नहीं किया जा सका है। यह आसपास के चार किलोमीटर के दायरे में भूमिगत जल व मिट्टी को प्रदूषित कर चुका है। इसके कारण रहवासियों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं। इस कचरे की वजह से आसपास की 42 कॉलोनियों के भूमिगत जल स्रोतों में हानिकारक रसायन का स्तर बढ़ा है। पहले ये रसायन 36 कॉलोनियों के भूमिगत जल स्रोतों तक ही सीमित थे। भारतीय विष विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है।

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इन उलझनों के कारण नहीं नष्ट हो पा रहा कचरा

यूनियन कार्बाइड की मालिक कंपनी डॉव केमिकल के कारखाने में 340 टन जहरीला कचरा पड़ा है। इसे डेढ़ साल पहले नष्ट करने की प्रक्रिया इंदौर के पीथमपुर में शुरू हुई थी। 10 टन कचरा नष्ट भी किया गया था। उसके बाद से प्रक्रिया रुकी हुई है। भोपाल ग्रुप फॉर इन्फार्मेशन एंड एक्शन के सदस्य सतीनाथ षड़ंगी का कहना है कि 10 टन कचरे के निपटान के बाद राज्य सरकार चाहती है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नष्ट किए गए कचरे की रिपोर्ट तैयार करे और आगे भी निपटान की कार्रवाई खुद की निगरानी में करे। जबकि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चाहता है कि स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व सरकार जहरीला कचरा नष्ट कराए। इस उलझन के कारण कचरा नष्ट नहीं हो पा रहा है।

20 हजार टन जमीन में दबाया

भोपाल गैस पीड़ित संगठनों का आरोप है कि यूनियन कार्बाइड कारखाना परिसर में करीब 20 हजार टन जहरीला कचरा दबाया गया है। इसके अलावा 21 स्थानों पर गढ्डे खोदकर उनमें कारखाने से निकलने वाला अपशिष्ट दबाया गया था, इसलिए अकेले 340 टन कचरे की बात करने से कुछ नहीं होगा। भोपाल ग्रुफ फॉर इन्फार्मेशन एंड एक्शन के सदस्य सतीनाथ षड़ंगी का कहना है कि इस कचरे को हटाने के लिए कारखाना के आसपास पांच किलोमीटर के दायरे में वैज्ञानिक अध्ययन किया जाए और कचरे को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाए, तब ही भोपाल की मानव जाति व प्रकृति का भला होगा।

न संयुक्त राष्ट्र संघ की बात मानी न खुद हटा रहे

भोपाल गैस पीडि़त संगठन के नवाब खां का कहना है कि 2015-16 में संयुक्त राष्ट्र संघ में काम करने वाली संस्थाओं की तरफ से कहा गया था कि वे वैज्ञानिक अध्ययन कर कचरा हटाने में मदद करना चाहते हैं। तब केंद्र में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विदेशी मदद लेने से इन्कार कर दिया था। नवाब खां का कहना है कि केंद्र ने न संयुक्त राष्ट्र संघ की बात मानी न खुद कचरा हटाने की ठोस पहल कर रहा है। जहरीली गैस कांड संघर्ष मोर्चा के सदस्य अनन्य प्रताप सिंह का कहना है कि कचरा हटाने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है, जो भोपाल के पर्यावरण व जनता के साथ खिलवाड़ है।

मध्य प्रदेश नियंत्रण बोर्ड सदस्य के सचिव आरएस कोरी ने बताया कि कचरा हटाने को लेकर उच्च स्तर से जो भी निर्देश मिलेंगे, उनका पालन कर कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में कोई निर्देश नहीं मिले हैं।


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