कोरोना महामारी में 30 हजार बच्चे हुए बेसहारा, न्यायमित्र का जरूरतमंद बच्चों को तत्काल आर्थिक मदद देने का अनुरोध
कोरोना महामारी में पिछले वर्ष मार्च से अभी तक देशभर में कुल 30071 बच्चे बेसहारा हुए हैं। इन बच्चों ने या तो माता- पिता दोनों खोए हैं या उनमें से एक कमाने वाला संरक्षक खो दिया है। ये जानकारी सोमवार को एनसीपीसीआर की ओर से सुप्रीम कोर्ट को दी गई।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना महामारी में पिछले वर्ष मार्च से अभी तक देशभर में कुल 30,071 बच्चे बेसहारा हुए हैं। इन बच्चों ने या तो माता- पिता दोनों खोए हैं या उनमें से एक कमाने वाला संरक्षक खो दिया है। ये जानकारी सोमवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की ओर से सुप्रीम कोर्ट को दी गई। ये वे बच्चे हैं जिनका ब्योरा विभिन्न राज्यों ने बाल आयोग के पोर्टल बाल स्वराज पर अपलोड किया है और जिन्हें मदद की जरूरत है। दिल्ली और बंगाल ने पोर्टल पर पूरा ब्योरा मुहैया नहीं कराया है। दिल्ली ने ऐसे 17 और बंगाल ने 11 बच्चों का ही ब्योरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को निर्देश दिया कि वे ऐसे बच्चों की पहचान कर तत्काल मदद मुहैया कराएं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को पीएम केयर्स फार चिल्ड्रन योजना का ब्योरा पेश करने के लिए दिया और समय
इसके अलावा सोमवार को कोर्ट ने पीएम केयर्स फार चिल्ड्रन योजना का ब्योरा पेश करने के लिए केंद्र सरकार को कुछ और समय दे दिया। वहीं, न्यायमित्र ने कोर्ट से अनुरोध किया कि जिन बच्चों के संरक्षक आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उन्हें जरूरतों की पूर्ति के लिए तत्काल आर्थिक मदद दी जानी चाहिए। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने महामारी के दौरान बेसहारा हुए बच्चों की मदद के संबंध में दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह इस संबंध में अंतरिम आदेश पारित करेंगे जो मंगलवार को वेबसाइट पर उपलब्ध होगा।
सोमवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश एडीशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट से कहा कि अनाथ बच्चों के लिए घोषित पीएम केयर्स फार चिल्ड्रन योजना का ब्योरा और तौरतरीका पेश करने के लिए कुछ और समय दिया जाए। भाटी ने कहा कि सभी पक्षकारों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बेसहारा बच्चों के बारे में कई निर्देश राज्यों के लिए जारी किए हैं। जिलाधिकारियों को ऐसे बच्चों की जिम्मेदारी दी गई है। भाटी ने कोर्ट में नोट दाखिल कर केंद्र की ओर से महामारी के दौरान बच्चों के संरक्षण के लिए जारी किए गए विभिन्न निर्देशों और एडवाइजरी का ब्योरा दिया। पीठ ने भाटी का अनुरोध स्वीकार करते हुए उन्हें योजना का ब्योरा देने के लिए कुछ और समय दे दिया।
दिल्ली और बंगाल ने नहीं मुहैया कराया पूरा ब्योरा
बाल आयोग की ओर से दाखिल ताजा हलफनामे में कोर्ट को बताया गया कि बाल स्वराज पोर्टल पर राज्यों द्वारा अपलोड ब्योरे के मुताबिक मार्च, 2020 से पांच जून, 2021 तक देशभर में 3,621 बच्चों ने माता-पिता दोनों खो दिए हैं। 26,176 बच्चों ने एक संरक्षक खोया है। कोर्ट ने जब दिल्ली और बंगाल से इस बारे में पूछा तो दिल्ली ने कहा कि उसने आंकड़े चाइल्ड कमेटी के आधार पर दिए हैं। अन्य राज्यों में विभिन्न एजेंसियों से जिलाधिकारी के पास सूचना आती है। अब दिल्ली ने भी विभिन्न विभागों से ब्योरा मांगा है।
पीठ ने दिल्ली के वकील से कहा कि आप अन्य राज्यों की तरह टास्क फोर्स क्यों नहीं बनाते जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारी हों। बंगाल के वकील ने भ्रम की बात की तो कोर्ट ने कहा कि किसी और राज्य को आदेश समझने में भ्रम नहीं हुआ सिर्फ बंगाल को हुआ, यह नही माना जा सकता। आप बच्चों की पहचान कर उन्हें मदद मुहैया कराएं। न्यायमित्र गौरव अग्रवाल ने कोर्ट को कई सुझाव दिए जिसमें ऐसे बच्चों की परवरिश के लिए आर्थिक मदद और योजनाओं के अमल की निगरानी तंत्र की भी बात कही।
बाल संरक्षण गृहों में संक्रमण मामले की सुनवाई शुरू
नई दिल्ली, एएनआइ : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देशभर में बाल संरक्षण गृहों में कोरोना संक्रमण के स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई शुरू की। जस्टिस एल. नागेश्वर राव व जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि उन्हें केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से कार्रवाई रिपोर्ट मिल गई है। न्यायमित्र गौरव अग्रवाल ने कहा कि केंद्र सरकार सक्रियता से इस मसले पर विचार कर रही है और बच्चों की मृत्युदर कम करने की कोशिश कर रही है।