700 करोड़ के शेयर घोटाला मामले में हर्षद मेहता के भाई समेत छह दोषी करार
हर्षद मेहता के भाई समेत पांच अन्य लोगों को कोर्ट ने 700 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले में दोषी करार दिया है।
मुंबई (जेएनएन)। 1990 के दशक के बहुचर्चित हर्षद मेहता शेयर घोटाले में 24 साल बाद फैसला आया है। मुंबई स्थित एक स्पेशल कोर्ट ने हर्षद मेहता के भाई सुधीर मेहता और 5 अन्य को 700 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले का दोषी ठहराया है। दोषियों में बैंक के वरिष्ठ अधिकारी और स्टॉक ब्रोकर भी शामिल हैं। घोटाले के मुख्य आरोपी हर्षद मेहता की 2002 में मौत हो गई थी, जिसके बाद उसके खिलाफ केस को बंद कर दिया गया था।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक जस्टिस शालिनी फनसालकर जोशी ने कहा कि अपराध बहुत ही गंभीर प्रकृति का है, ये राष्ट्रीयकृत बैंक से धोखाधड़ी के जरिए करोड़ों रुपये निकालने का मामला है। इस घोटाले की वजह से देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी। इस दौरान जज ने दोषियों की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने दशकों से मानसिक और शारीरिक समस्या झेलने के चलते माफी की मांग की थी।
कोर्ट का कहना था कि यह सच है कि इस मामले में अपराध बहुत पहले 1992 में हुआ था। यह भी सत्य है कि इन 24 सालों में आरोपियों को मानसिक और शारीरिक कष्टों को सहना पड़ा। लेकिन इसके बावजूद, अपराध की गंभीरता को भी समझना होगा।
स्पेशल कोर्ट ने हर्षद मेहता के भाई सुधीर और दीपक मेहता को दोषी ठहराया। दीपक मेहता स्टॉक ब्रोकर था। इनके अलावा नेशनल हाउसिंग बैंक के अधिकारी सी. रविकुमार और सुरेश बाबू, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी आर. सीतारमण और स्टॉक ब्रोकर अतुल पारेख भी दोषी ठहराए गए हैं।
कोर्ट ने उन्हें धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक विश्वासघात से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत दोषी ठहराया है। दोषियों को 6 महीने से 4 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा दोषियों पर 11.95 लाख रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। जिस वक्त यह घोटाला हुआ था उस वक्त दीपक महज 19 वर्ष का था।
हालांकि कोर्ट ने सजा का एलान अभी नहीं किया है। वहीं दोषियों का कहना था कि नोटबंदी के चलते आर्थिक दंड की रकम इकट्ठा करने में उन्हें समय लगेगा।