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2002 Gujarat riots case: बाबू बजरंगी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

2002 Gujarat riots case सुप्रीम कोर्ट ने बाबू बजरंगी को जमानत दे दी है। बजरंगी को नरोदा पाटिया मामले में दोषी ठहराया गया था। बजरंगी को स्वास्थ्य कारणों से जमानत मिली है।

By Digpal SinghEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 12:22 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 12:47 PM (IST)
2002 Gujarat riots case: बाबू बजरंगी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत
2002 Gujarat riots case: बाबू बजरंगी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

नई दिल्ली, एजेंसी। 2002 Gujarat riots case: सुप्रीम कोर्ट ने बाबू बजरंगी को जमानत दे दी है। बाबू बजरंगी को नरोदा पाटिया मामले में दोषी ठहराया गया था। बजरंगी को स्वास्थ्य कारणों से जमानत मिली है।

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बाबू बजरंगी का असली नाम बाबूभाई पटेल है और उनका संबंध बजरंग दल से रहा है। गुजरात में साल 2002 में साबरमती एक्सप्रेस कांड के बाद हुए दंगों को लेकर बाबू बजरंगी हमेशा चर्चा के केंद्र में रहे हैं।

साल 2007 में एक स्टिंग ऑपरेशन सामने आया था, जिसमें वह नरोदा पाटिया नरसंहार में अपनी भूमिका की बात कही थी। साल 2002 के दंगों के बाद वह विश्व हिंदू परिषद् में शामिल हो गए और बाद में वह शिवसेना का हिस्सा बन गए थे।

स्टिंग में क्या बोले बाबू बजरंगी
बाबू बजरंगी ने तहलका के इस स्टिंग ऑपरेशन में कहा था कि उन्होंने 'वीर माहाराणा प्रताप जैसा कुछ काम' किया। इस स्टिंग में बजरंगी ने बताया था कि उन्होंने अहमदाबाद में 28 फरवरी 2002 को हुए नरसंहार के लिए भीड़ को उकसाने का काम किया था। यही नहीं उन्होंने बम और बंदूकें मुहैया कराने की बात भी स्वीकार की थी।

नरसंहार का कारण
स्टिंग ऑपरेशन में बाबू बजरंगी ने नरसंहार का कारण भी बताया था। उन्होंने 27 फरवरी, 2002 को गधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में 59 कारसेवकों को जलाए जाने से हुई मौत को दंगों का कारण बताया था। उन्होंने कहा, 'जो कुछ भी हुआ, मैं उसे बर्दाश्त नहीं कर सका और अगले ही दिन हमने उन्हें करारा जवाब दिया।'

'मैं वहीं मौजूद था'
बाबू बजरंगी ने इस स्टिंग में स्वीकार किया कि वह नरसंहार के वक्त खुद वहां मौजूद थे। उन्होंने कहा, गोधरा (साबरमती एक्सप्रेस) की घटना के बाद वह मैं नरोदा लौटा और हमने प्रतिशोध लिया।


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