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अफगानिस्तान में सक्रिय हैं आइएस से जुड़े 200 भारतीय आतंकी, भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का सबब

खुफिया एजेंसियों के अनुसार अफगानिस्तान में आइएसकेपी से जुड़े लगभग 200 भारतीय आतंकी हैं जिनमें कई महिलाएं भी हैं। शायद यही कारण है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान में आइएस की सक्रियता के खतरे के प्रति आगाह किया था।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 31 Aug 2021 09:40 PM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 08:24 AM (IST)
एनआइए के विभिन्न केस में वांछित 25 आतंकियों के भी अफगानिस्तान में होने की पुष्टि (फाइल फोटो)

नीलू रंजन, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस (आइएसकेपी) की सक्रियता और उसमें बड़ी संख्या में भारतीय आतंकियों की मौजूदगी भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चिंता का सबब बन गया है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार अफगानिस्तान में आइएसकेपी से जुड़े लगभग 200 भारतीय आतंकी हैं, जिनमें कई महिलाएं भी हैं। शायद यही कारण है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान में आइएस की सक्रियता के खतरे के प्रति आगाह किया था।

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एनआइए के विभिन्न केस में वांछित 25 आतंकियों के भी अफगानिस्तान में होने की पुष्टि

खुफिया एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अफगानिस्तान में आइएसकेपी में सक्रिय भारतीय आतंकी लगातार भारत में आतंकी माड्यूल खड़ा करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। पिछले पांच वर्षो में एनआइए आइएस से जुड़े लगभग एक दर्जन केस दर्ज कर चुका है। इन मामलों की जांच के दौरान आइएसकेपी से जुड़े कई आतंकियों के बारे में जानकारी मिली है। एनआइए के वांछित आतंकियों में 25 के अफगानिस्तान में होने की पुष्टि हुई है। लेकिन इन आतंकियों के ¨जदा होने या मारे जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है।

सीरिया और इराक में आइएस के पतन के बाद इनके अफगानिस्तान पहुंचने की आशंका

पिछले दिनों अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बड़ी संख्या में जेल में बंद आतंकियों को छोड़ दिया गया। इनमें बहुत सारे आइएसकेपी के आतंकी भी थे। इनमें से कई के भारतीय मूल के होने की आशंका जताई जा रही है। अफगानिस्तान में आइएसकेपी में सक्रिय भारतीय आतंकियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने की वजह बताते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इनमें अधिकतर वे आतंकी हैं, जो सीरिया और इराक में आइएस के साथ लड़ने के लिए गए थे। ये सभी खाड़ी देशों के मार्फत सीरिया और इराक पहुंच गए थे। लेकिन बगदादी के मारे जाने और सीरिया और इराक में आइएस का खात्मा होने के बाद उससे जुड़े आतंकियों ने विभिन्न देशों का रुख किया। इसी क्रम में भारतीय मूल के आतंकी अफगानिस्तान पहुंच गए। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में अब्दुल गनी शासन के दौरान इन आतंकियों के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की जा रही थी और उसमें कुछ सफलता भी मिली थी। लेकिन तालिबान के आने के बाद स्थिति और जटिल हो गई है।

भारत के विभिन्न भागों से आइएस से जुड़े 10 आतंकियों को किया गया था गिरफ्तार

आइएसकेपी की गतिविधियों पर नजर रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस आतंकी संगठन की सारी गतिविधियों की आनलाइन जानकारी मुनसिब के छद्म नाम से कोई अपडेट करता है। पाकिस्तानी मूल का कथित मुनसिब अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय है और एजेंसियां उसके बारे में विस्तृत जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है। ध्यान देने की बात है कि पिछले दिनों एनआइए ने कर्नाटक के भटकल से जुफरी जावहर दामुदी को गिरफ्तार किया था। दामुदी इंटरनेट मीडिया पर अबु हाजिर अल बदरी के नाम से सक्रिय था और वायस आफ हिंद नाम की पत्रिका निकालता था। दामुदी खुद को अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय बताता था, लेकिन जांच में उसके भटकल में होने की पुष्टि हुई थी। जुफरी के साथ ही देश के विभिन्न भागों से आइएस से जुड़े 10 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें दो महिलाएं भी हैं।


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