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CAA पर 154 पूर्व जजों और वरिष्‍ठ अधिकारियों ने राष्ट्रपति से लगाई गुहार, उपद्रवियों पर कार्रवाई की मांग

देश के 154 प्रबुद्ध नागरिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करके लोकतांत्रिक संस्थाओं की सुरक्षा की अपील की है। साथ ही उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 06:32 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 07:19 AM (IST)
CAA पर 154 पूर्व जजों और वरिष्‍ठ अधिकारियों ने राष्ट्रपति से लगाई गुहार, उपद्रवियों पर कार्रवाई की मांग
CAA पर 154 पूर्व जजों और वरिष्‍ठ अधिकारियों ने राष्ट्रपति से लगाई गुहार, उपद्रवियों पर कार्रवाई की मांग

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। देश के 154 प्रबुद्ध नागरिकों ने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करके लोकतांत्रिक संस्थाओं की सुरक्षा की अपील की है। साथ ही संशोधित नागरिकता कानून 2019 (CAA) एवं NRC के विरोध की आड़ में हिंसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं को सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की है। राष्‍ट्रपति से गुजारिश करने वाले प्रबुद्ध लोगों में पूर्व न्यायाधीश, नौकरशाह, रक्षा कर्मी आदि शामिल हैं। पूर्व न्यायाधीश प्रमोद कोहली के नेतृत्व में इस शिष्टमंडल ने राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात की।

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के ट्विटर अकाउंट से इस मुलाकात की तस्वीर साझा की गई है। प्रतिनिधिमंडल के सदस्‍यों ने कहा है कि कुछ राजनीतिक तत्वों के दबाव में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों की आड़ में उपद्रवियों ने वाहनों को आग के हवाले कर दिया और सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हुए पत्‍थरबाजी की। हालांकि, CAA के समर्थन में भी आवाजें सामने आईं। 

अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा करने की गुजारिश की साथ ही कहा कि इसके लिए जरूरी है कि उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इन 154 दिग्गजों के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई पूर्व जज एवं केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के पूर्व चेयरमैन प्रमोद कोहली ने किया। उन्‍होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक तत्वों ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन और हिंसा के लिए उकसाने का काम किया। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि नफरत का माहौल पैदा करने के लिए कुछ संगठनों की हरकत से वे चिंतिंत हैं। 

प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी सौंपा। ज्ञापन पर हाइकोर्टों के 11 पूर्व न्‍यायाधीश, आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और पूर्व राजनयिकों समेत 72 पूर्व नौकरशाह और 56 शीर्ष पूर्व रक्षा अधिकारी, बुद्धिजीवी, अकादमिक एवं चिकित्सा जगत से जुड़े प्रबुद्ध लोगों के हस्‍ताक्षर हैं। ज्ञापन में गुजारिश की गई है कि केंद्र सरकार पूरी गंभीरता से इस मामले पर ध्‍यान दे और देश के लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा करे। साथ ही उन कथित उपद्रवी और देश विरोधी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करे जो समाज को बांटने में लगे हैं। 

दूसरी ओर विश्व हिंदू परिषद साधु-संतों को गांव-गांव में भेजकर आम जनता को सीएए के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रम के निवारण की तैयारी में जुटी है। इसके साथ ही विहिप ने सीएए के समर्थन में प्रदर्शनों पर हिंसक हमले के खिलाफ गहरी नाराजगी जताते हुए आरोपितों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। विहिप के महासचिव मिलिंग परांडे ने आरोप लगाया कि इसके पीछे देश विरोधी शक्तियां सक्रिय हैं। कश्मीर के मुद्दे का, जिसका सीएए से कोई लेना-देना नहीं है, विरोध प्रदर्शनों के दौरान सामने आना इसका सबूत है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों विहिप मार्गदर्शक मंडल में आम जनता को सीएए की हकीकत से अवगत कराने का फैसला किया गया है। 


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