Coronavirus : जहां हैं वहीं होगी प्रवासी मजदूरों की देखभाल, केंद्र ने तत्काल इंतजाम करने के दिए निर्देश
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से कहा है कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों के शहरों से घरों की ओर हो रहे बड़े पैमाने पर हो रहे पलायन को रोकें।
नई दिल्ली, जेएनएन। सैकड़ों मजदूर उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर अपने गृह जनपदों तक जाने के लिए दिल्ली के गाजीपुर में जमा हो गए हैं। इसी तरह से देश के विभिन्न भागों से भारी तादाद में मजदूरों के पलायन को देखते हुए केंद्र सरकार चिंता में है। लॉकडाउन की वजह से विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को मोदी सरकार ने गंभीरता से लिया है। केंद्र ने सभी राज्यों को इन मजदूरों के लिए तत्काल ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली समेत देश के विभिन्न भागों से प्रवासी मजदूरों के सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित अपने घर की ओर पैदल जाने की खबरें आ रही हैं। गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया कि कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए लगाए प्रतिबंध के कारण उन्हें वापस घर भेजने की व्यवस्था नहीं की जा सकती है। इसके बजाय उन्हें जहां वे हैं, वहीं पर रहने का पूरा इंतजाम किया जाना जरूरी है।
पीएम मोदी के 21 दिनों के लिए देश में 'टोटल लॉकडाउन' के भगीरथ प्रयास को सफल बनाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी बात की है। उनसे कहा गया है कि बड़ी तादाद में अपने गांवों की ओर बड़ी तादाद में पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों को बीच रास्ते में ही रोक कर उन्हें समझाया जाए और उनकी देखरेख की जाए। इसके अलावा, गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कहा है कि वह होटलों, किराए के मकानों और हॉस्टलों में रह रहे लोगों का प्रवास सुनिश्चित करें। ताकि लोग जहां कहीं भी हैं, उनका वहीं सुरक्षित रहना सुनिश्चित हो सके।
सभी राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय गृहसचिव अजय भल्ला ने पत्र लिखकर 14 अप्रैल तक लॉकडाउन के दौरान सभी प्रवासी कृषि, औद्योगिक व असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के लिए खाने-पीने और ठहरने की उचित व्यवस्था करें। विद्यार्थियों और कामकाजी महिलाओं को भी अपने मौजूदा जगह पर ही सारी सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए। ताकि उन्हें किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़े। केंद्र ने मजदूरों, छात्रों और अकेले रहने वाली कामकाजी महिलाओं के लिए साफ पानी के साथ खाने-पीने का सामान पहुंचाने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद लेनी की सलाह दी है।
एक सवाल के जवाब में गृहमंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि अगर उन्हें घर भेजा जाने लगा तो इससे लॉकडाउन का पूरा उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा। लॉकडाउन का अर्थ है कि जो जहां है वहीं ठहर जाए। प्रसार को रोकने का यही मंत्र है। इसीलिए राज्यों को इन्हें वापस भेजने की व्यवस्था करने के बजाय जहां वे हैं, वहीं सारे इंतजाम करने को कहा गया है। सत्तारूढ़ भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी पार्टी कार्यकर्ताओं को इन बदहाल मजदूरों की मदद करने को कहा है।