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लद्दाख में गतिरोध पर बातचीत आज, भारत का प्रतिनिधित्‍व करेंगे लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह

लद्दाख में जारी गतिरोध को खत्‍म करने के मसले पर आज होने वाली बातचीत में भारतीय सेना के प्रतिनिधि के तौर पर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह शामिल होंगे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 06:19 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 07:09 AM (IST)
लद्दाख में गतिरोध पर बातचीत आज, भारत का प्रतिनिधित्‍व करेंगे लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह
लद्दाख में गतिरोध पर बातचीत आज, भारत का प्रतिनिधित्‍व करेंगे लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह

नई दिल्‍ली, एएनआइ। लद्दाख में जारी गतिरोध को खत्‍म करने के लिए आज सुबह भारतीय और चीनी सेना के अधिकारी बातचीत करेंगे। भारतीय सेना के प्रतिनिधि के तौर पर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह (Lieutenant Gen Harinder Singh) चीनी सेना के अधिकारी मेजर जनरल लियू लिन के साथ बातचीत करेंगे। भारतीय सेना के आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है। मेजर जनरल लियू लिन (Maj Gen Liu Lin) चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People’s Liberation Army) के दक्षिण झिंजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर हैं।

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कौन हैं हरिंदर सिंह 

लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह लेह स्थित 14वीं कॉर्प्स के कमांडर हैं जो चीनी अधिकारियों के साथ बातचीत में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व करेंगे। 'फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स' के उपनाम वाली 14वीं कॉर्प्स भारतीय सेना की उधमपुर स्थित उत्तरी कमान का हिस्सा है। यह कमान सबसे जोखिम भरी चुनौतियों का सामना करती है। लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह आतंकवाद रोधी विशेषज्ञ कमांडर मानें जाते हैं। उन्‍होंने पिछले साल अक्टूबर में 14वीं कॉर्प्स की कमान संभाली थी। उन्होंने भारतीय सेना में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बेहतरीन अनुभव 

रिपोर्टों के मुताबिक, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह सैन्य खुफिया महानिदेशक (DGMI), सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO), और ऑपरेशनल लॉजिस्टिक्स और स्ट्रैटेजिक मूवमेंट के महानिदेशक (DGOLSM) जैसे उच्च पदों पर भी काम कर चुके हैं। वह संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत अफ्रीका में भी काम कर चुके हैं। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उनका बेहतरीन अनुभव है। वह नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA) और सिंगापुर के एस. राजारतनम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (RSIS) में सीनियर रिचर्स फेलो भी रहे हैं।

चीन ने नया कमांडर नियुक्त किया

भारत चीन सीमा विवाद के बीच चीन ने अपनी पश्चिमी थियेटर कमांड ग्राउंड फोर्स में नया कमांडर नियुक्त किया है। चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि लेफ्टीनेंट जनरल कू क्विलिंग इस तैनाती से पहले ईस्टर्न थियेटर कमांड में सेवाएं दे चुके हैं। भारत से लगी सीमा की निगरानी पीएलए की वेस्टर्न थियेटर कमांड ही करती है। वेस्टर्न थियेटर कमांड में सेना, वायुसेना और राकेट फोर्स शामिल है। इसका नेतृत्व जनरल झाओ जोंगकी के पास है। 

आइटीबीपी की दो नई कमांड  

इस बीच महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा की निगरानी के लिए भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) को दो कमांड को सक्रिय कर दिया है। आइटीबीपी मुख्यालय से 3 जून को जारी एक आदेश में कहा गया कि इन दोनों कमांड को तत्काल प्रभाव सक्रिय करना आवश्यक है। इन कमांड के लिए गत वर्ष अक्टूबर में मंजूरी दी गई थी। एक कमांड चंडीगढ़ और दूसरी कमांड गुवाहाटी में स्थापित होगी। 

दोनों कमांड में 35 से 38 बटालियन 

दोनों कमांड का नेतृत्व अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) स्तर का अधिकारी करेगा। यह पद सेना के लेफ्टिनेंट जनरल के समतुल्य होगा। इन दोनों कमांड में 35 से 38 बटालियन होंगी। ये 3488 किमी लंबी भारत-चीन सीमा की निगरानी करेंगी। चंडीगढ़ स्थित पश्चिमी कमांड का नेतृत्व फिलहाल आइटीबीपी के आइजी एम एस रावत को सौंपा गया है। नई नियुक्ति तक वो दोनों पद संभालेंगे। गुवाहाटी स्थिति पूर्वी कमांड का नेतृत्व भी फिलहाल आइजी स्तर के अधिकारी के पास रहेगा।  

रूस भी दे चुका है सकारात्‍मक संकेत 

रूस ने बीते बुधवार को कहा था कि भारत और चीन के बीच रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के लिए बेहत अहम हैं। भारत में रूसी दूतावास के उपप्रमुख रोमन बबुश्किन ने उम्मीद जताई थी कि दोनों देश पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध (स्टैंडऑफ) का द्विपक्षीय बातचीत के जरिए समाधान निकाल लेंगे। उन्‍होंने कहा था कि दो महान सभ्यताओं के बीच शांतिपूर्ण पड़ोसी जैसे रिश्‍ते बरकरार रखने के लिए सकारात्मक घटनाक्रम की उम्मीद है। स्थायित्व और सतत विकास के लिए भारत और चीन जैसे दोस्तों के बीच रचनात्मक संबंध बेहद महत्‍वपूर्ण हैं।

10 राउंड तक हो चुकी है बातचीत

पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध को लेकर अभी तक दोनों सेनाओं के बीच 10 राउंड तक की बातचीत हो चुकी है। बीते मंगलवार को भी दोनों सेनाओं के अधिकारियों के बीच इस मसले पर बातचीत हुई थी लेकिन अभी तक किसी भी बातचीत का कोई खास नतीजा सामने नहीं आया है। एक बड़ी पहलकदमी दोनों सेनाओं की ओर से यह जरूर सामने आई है कि क्षेत्र में दोनों सेनाएं कुछ दूर तक पीछे जरूर हटी हैं। हालांकि अभी भी टकराव की नौबत खत्‍म नहीं हुई है। चीन ने तिब्बत में सैन्य अभ्यास कर अपनी सेना के पांच हजार जवानों को उत्‍तरी लद्दाख सेक्‍टर में तैनात कर दिया है। इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी तैनाती बढ़ाई है। 

170 बार चीन ने ली है भारत के धैर्य की परीक्षा 

चीन ने इस साल लद्दाख में पहले से अधिक आक्रामक तेवर दिखाए हैं। अधिकारिक आंकड़ों की मानें तो साल के पहले चार महीनों में ही चीन ने 170 बार उकसाने वाली कार्रवाई की है। पिछले साल लद्दाख में पूरे साल में ऐसे 110 मामले हुए थे। वहीं भारतीय सेना भी बॉर्डर पर्सनल बैठकों में लगातार चीन की उकसावे वाली कार्रवाइयों पर कड़ी प्रतिक्रिया जताती रही है। इससे पहले साल 2017 में डोकलाम में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए थे। यह गतिरोध 73 दिन तक जारी रहा था। इससे दोनों परमाणु हथियारों से लैस देशों के बीच युद्ध की आशंकाएं जोर पकड़ने लगी थीं। हालांकि, इस मसले को भी बातचीत से सुलझा लिया गया था। 

इसलिए परेशान है चीन 

चीनी सेना के कुछ पीछे हटने को गतिरोध के मसले पर होने जा रही अहम बैठक के ठीक पहले एक सकारात्मक पहल के रूप में लिया जा रहा है। रक्षा सूत्रों की मानें तो गतिरोध दूर करने के लिहाज से छह जून की इस बैठक के लिए माहौल बेहतर बनाने की ज्यादा जिम्मेदारी चीन की होगी क्‍योंकि उसी के जवानों के इलाके में दाखिल होने के चलते टकराव बढ़ा था। दोनों देशों के शीर्ष स्तर के सैन्य अधिकारियों की यह बैठक चीन के चुशूल इलाके में प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि चीन ने लद्दाख के पैट्रोल प्वाइंट 14 और दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाली सड़क के निर्माण को रोकने के लिए ऐसी हिमाकत की है। हालांकि, भारत ने सड़क निर्माण रोकने से इनकार कर दिया है। 


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