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आइए हाथ बढ़ाते है उस हाथ के लिए जिसने हमें खाना खिलाया !

आज का ये शीर्षक पढ़कर आप जरा सोच में पड़ गए होगें कि आखिर इस लाइन का मतलब क्या है, तो अपने दिमाग पर जोर मत डालिए हम बताएंगे कि इस लाइन का क्या मतलब है। सिर्फ 72 घंटों में 12 किसानों की आत्महत्या क्या आपके लिए बड़ी खबर है?

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2015 12:00 PM (IST)Updated: Thu, 30 Apr 2015 12:09 PM (IST)
आइए हाथ बढ़ाते है उस हाथ के लिए जिसने हमें खाना खिलाया !

आज का ये शीर्षक पढ़कर आप जरा सोच में पड़ गए होगें कि आखिर इस लाइन का मतलब क्या है, तो अपने दिमाग पर जोर मत डालिए हम बताएंगे कि इस लाइन का क्या मतलब है। सिर्फ 72 घंटों में 12 किसानों की आत्महत्या क्या आपके लिए बड़ी खबर है? जी हां आपने सही सोचा आज हम यहां किसानों के बारे में बताने जा रहे है। जिनके मेहनत से हम घर में बैठ कर आराम से खाना खाते हैं। अपना पेट भरते है। लेकिन क्या आप को इस बात का जरा सा भी इल्म है कि बीते साल 2014 में पूरे महाराष्ट्र में 4250 और अकेले विदर्भ में 1110 किसानों ने आत्महत्या की थी? और अफसोस की बात ये है कि इस साल भी यही हाल है। इस देश में हर तीस मिनट में एक किसान मर रहा है यानी जितने टाइम में हमारे प्रधानमंत्री इंडिया से कनाडा पहुंचेगे उतने टाइम में तीस किसान की मौत हो चुकी होगी, खैर छोड़ीए न आपके घर पर तीस मिनट में पिज्जा आ रहा है न बस बात खत्म है न ! आज इस वीडियो में है कुछ ऐसा ही सन्देश की आप भी सुनकर हो जायेंगें सोचने पर मजबूर - क्या वाकई में हमारे देश में किसानों के बारे में ये सोचते है लोग।

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