गुरु के एक आदेश पर IAS का करियर छोड़ा और बन गए कथावाचक
यूपीएससी में 113वीं रैंक हासिल करने वाले वाला 27 वर्षीय युवक 2006 में गुरु के आदेश पर IAS छो़ड़ कथावाचक बन गया।
ईश्वरसिंह परमार, उज्जैन। बात वर्ष 2006 की है। नैनीताल उत्तराखंड के 27 वर्षीय युवा नमनकृष्ण ने यूपीएससी में 113वीं रैंक पाई। आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) में चयन हुआ लेकिन गुरु ने कहा, अफसर बनकर क्या करोगो। जीवन में अगर कुछ करना है तो प्रभु के राज्य में प्रवेश के लिए आत्मा का अनुसंधान करो।
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बस यही वाक्य जीवन का सूत्र बन गया और नमनकृष्ण जोशी बन गए नमनकृष्ण महाराज। 37 वर्षीय नमनकृष्ण महाराज भारत के विभिन्न् शहरों के साथ रोमनिया, बुलगारिया समेत आधा दर्जन देशों में 154 श्रीमद्भागवत कथाएं कर चुके हैं। पिता नैनीताल में सरकारी सेवा में थे।
वर्ष 2006 में वे 113वीं रैंक के साथ आईएएस में चयनित हुए। ज्वाइनिंग देना ही थी कि हृदय परिवर्तन हो गया। इससे पहले वे बैंक पीओ की नौकरी भी ठुकरा चुके थे। महाराजश्री ने एमएससी तक पढ़ाई की और बॉटनी में पीएचडी भी करने लगे। हालांकि, 2006 में आईएएस में चयन होने के बाद वे पीएचडी नहीं कर पाए।
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ऐसे आया जीवन में बदलाव
नमनकृष्ण महाराज बताते हैं कि उनके गुरु परमहंस ब्रह्मनंंद मुनि थे। जब आईएएस चयन हुआ तो गुस्र्जी ने कहा कि आईएएस को तनख्वाह कितनी मिलती है, इतने से क्या होगा। प्रभु भक्ति के मार्ग पर चलो। गुरु के वचन को आदेश मानकर वे इस मार्ग पर चल पड़े। इससे पहले कभी कथा नहीं पढ़ी थी लेकिन गुरु के वचन के बाद जीवन में बदलाव आ गया।
युवाओं को संदेश
- कर्म करिए लेकिन धर्म का आश्रय लेकर।
- किसी भी प्रकार के नशे का त्याग करें।
- सद्ग्रंथों का अध्ययन करें।
- अनुशासित रहे। उन्न्ति के लिए सही दिशा में परिश्रम करें।
- बड़े सपने देखें। उसे पूरा करने के लिए खूब मेहनत करें।
- समय का प्रबंधन जरूर करें।
(साभार- नई दुनिया)