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लॉकडाउन के बाद नए लग्जरी लुक में दिखेगी 108 साल पुरानी ये ट्रेन, पहले पाकिस्तान तक जाती थी

सेंट्रल रेलवे की प्राचीनतम ट्रेनों में से एक 108 साल पुरानी मुंबई-फिरोजपुर पंजाब मेल लॉकडाउन के बाद नए लग्जरी लुक में दिखेगी।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 03:54 PM (IST)Updated: Fri, 26 Jun 2020 03:54 PM (IST)
लॉकडाउन के बाद नए लग्जरी लुक में दिखेगी 108 साल पुरानी ये ट्रेन, पहले पाकिस्तान तक जाती थी
लॉकडाउन के बाद नए लग्जरी लुक में दिखेगी 108 साल पुरानी ये ट्रेन, पहले पाकिस्तान तक जाती थी

मुंबई, जागरण संवाददाता। सेंट्रल रेलवे की प्राचीनतम ट्रेनों में से एक 108 साल पुरानी मुंबई-फिरोजपुर पंजाब मेल लॉकडाउन के बाद नए लग्जरी लुक में दिखेगी। अब इस ट्रेन में स्थाई तौर पर LHB क्‍लास के लग्‍जरी कोच जोड़ दिए गए हैं। फिल्हाल ट्रेन कैंसल हैं, जब लॉकडाउन के बाद ट्रेन सेवाएं दोबारा शुरू होंगी, तब ये ट्रेन नए अवतार में नजर आएगी। ट्रेन में आए इस बदलाव की पुष्टि करते हुए सेंट्रल रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सुतार ने कहा कि नए LHB या लिंके हॉफमैन बुश कोच यात्रियों की सुरक्षा को मजबूत करने के मकसद से डिजाइन किया गया है। दिखने में सुंदर व आकर्षक नजर आ रहे कोच स्टेनलेस स्टील व अंदरूनी हिस्‍सा एल्‍युमीनियम से डिजायन किए गए हैं, जो पारंपरिक रेक की तुलना में हलके हैं। LHB कोच पुराने कोच की तुलना में बड़े और बैठने में सुगम हैं।

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पाकिस्तान के पेशावर से बॉम्बे तक चलने वाली पंजाब मेल की शुरुआत कब हुई, इसकी तारीख तय नहीं है, लेकिन माना जाता है कि 1 june 1912 को धुएं के इंजन के साथ इस ट्रेन की शुरुआत हुई। उस समय पंजाब मेल को पंजाब लिमिटेड भी कहा जाता था। कोस्‍ट एस्टिमेट पेपर सिरका 1911  के आधार पर और 12 अक्टूबर, 1912 को दिल्ली में कुछ मिनटों की देरी से ट्रेन के पहुंचने से गुस्साए एक यात्री की शिकायत के आधार पर कमोबेश यह अनुमान लगाया गया है कि पंजाब मेल ने 1 जून 1912 को बैलार्ड पियर मोल स्टेशन से पहली यात्रा की। यह ट्रेन 16 साल से अधिक पुरानी ग्लैमरस फ्रंटियर मेल से भी पुरानी है। पंजाब लिमिटेड बॉम्बे के बैलार्ड पियर मोल स्टेशन से पेशावर जाने वाले सभी मेल मार्गों पर जीआईपी मार्ग से होते हुए लगभग 47 घंटे में 2,496 किलोमीटर की दूरी तय करती थी।

ब्रिटिश भारत की सबसे तेज ट्रेन

विभाजन से पहले ब्रिटिश भारत में पंजाब मेल सबसे तेज चलने वाली ट्रेन थी। 1914 में पंजाब मेल का आरंभिक व अंतिम स्‍टेशन बॉम्बे VT (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस मुंबई)  था। कुछ समय में ही ट्रेन चर्चित हो गई और उसे पंजाब लिमिटेड की जगह पंजाब मेल के रूप में जाना जाने लगा और ट्रेन नियमित रूप से दैनिक सेवा देने लगी। 

निचले वर्गों के लिए भी खानपान

शुरू में सफर के दौरान उच्च वर्ग के लोगों के लिए खानपान शुरू करने वाली पंजाब मेल ने जल्द ही निचले वर्गों के लिए भी खानपान शुरू कर दिया। 1930 के मध्‍य में पंजाब मेल पर थर्ड क्‍लास की बोगी दिखाई देने लगी। 1914 में, बंबई से दिल्ली तक जीआईपी मार्ग लगभग 1,541 किमी था। इस दूरी को पंजाब मेल 29 घंटे 30 मिनट में तय करती थी।

बिजली से चलने वाली मेल

1920 की शुरुआत में, इस ट्रेन की यात्रा अवधि अठारह स्‍टेशनों पर रुकने के बावजूद भी कम होकर 27 घंटे 10 मिनट रह गई थी। 1972 में इस ट्रेन की यात्रा अवधि 29 घंटे  तक बढ़ा दी गई थी। 2011 में, पंजाब मेल के कुल 55 मध्यवर्ती स्टॉप थे। पंजाब मेल को एयरकंडिशन बोगी 1945 में लगाई गई। आज मुंबई और फिरोजपुर छावनी के बीच 1,930 किलोमीटर की दूरी यह ट्रेन 34 घंटे 15 मिनट में पूरी करती है। आज यह ट्रेन विद्युत चालित है।  


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