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श्रावक को प्रतिक्रमण अवश्य करना चाहिए : साध्वी पुनीतयशा

श्रावक जीवन में कदम से कदम आगे बढ़ाते हुये श्रावक बनने का प्रयास करते हैं। दैनिक कार्य के साथ-साथ कुछ नये कार्य भी जुड़ जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 05:52 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 05:52 PM (IST)
श्रावक को प्रतिक्रमण अवश्य करना चाहिए : साध्वी पुनीतयशा
श्रावक को प्रतिक्रमण अवश्य करना चाहिए : साध्वी पुनीतयशा

संस, लुधियाना : श्री आत्मानंद जैन सभा (रजि.), लुधियाना के तत्वावधान में श्री आत्मानंद जैन महासमिति द्वारा आयोजित आत्म-लक्षी चातुर्मास के अंतर्गत श्रीमति मोहनदेई ओसवाल हाल, श्री आत्म-वल्लभ जैन उपाश्रय, पुराना बाजार में वर्तमान गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी शांत स्वभावी विदुषी साध्वी संपत म.सा. की सुशिष्याएं सरल स्वभावी साध्वी चन्द्रयशा श्री म.सा., प्रवचनदक्षा साध्वी पुनीतयशा श्री म.सा. ने अपने प्रवचन में फरमाया कि जिस प्रकार हम प्रतिदिन दैनिक कार्य करते हैं, उसी तरह परमात्मा के बताये हुये कार्य भी करने चाहिए। श्रावक जीवन में कदम से कदम आगे बढ़ाते हुये श्रावक बनने का प्रयास करते हैं। दैनिक कार्य के साथ-साथ कुछ नये कार्य भी जुड़ जाते हैं। प्रतिदिन छ: आवश्यक क्रियाएं करनी जरूरी होती हैं। जिनमें से एक प्रतिक्रमण है। प्रतिक्रमण यानि किये हुये पाप कार्यों से पीछे हटना। पाप करना नहीं, पापों से डरना। पापों के प्रति पश्चात्ताप यानि कि प्रतिक्रमण। परमात्मा के वचनों के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए। अगर हर रो•ा नहीं कर सकते तो 15 दिन बाद पाक्षिक प्रतिक्रमण कर लेना चाहिए। अगर उसमें भी चूक हो जाये तो चार मास के बाद चौमासी प्रतिक्रमण कर लेना चाहिए। इस तरह हमें पाप की आलोचना करनी चाहिए।

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