खूबसूरत वादियों से घिरा देश का आखिरी गांव, दूर-दूर से पर्यटकों को खींच लाते हैं स्वर्ग से नजारे और एक दुकान
Last Indian Village Mana उत्तराखंड में स्थित माणा गांव खास सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ कई रहस्यमयी पौराणिक मान्यताओं के लिए भी प्रसिद्ध है। माणा (Mana Village) समुद्र तल से 3118 मीटर (10227 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। जो छह माह बर्फ से ढका रहता है।
टीम जागरण, देहरादून : Last Indian Village Mana : भारत में ऐसे कई गांव हैं जो पौराणिक रहस्य और महत्व से जुड़े हुए हैं। इनमें से एक है देश का आखिरी गांव जो खूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है।
उत्तराखंड में स्थित माणा गांव खास सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ कई रहस्यमयी पौराणिक मान्यताओं के लिए भी प्रसिद्ध है। यह गांव छह माह बर्फ से ढका रहता है और यहां रहने वाले बाशिंदे निचले इलाकों में चले आते हैं।
यहां कई दर्शनीय स्थल हैं। यहां ऐसी दुकान है जहां फोटो खिंचवाने के लिए दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में...
- चमोली जिले में स्थित भारत का आखिरी गांव माणा (Mana Village) समुद्र तल से 3118 मीटर (10227 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। जो छह माह बर्फ से ढका रहता है।
- मान्यता है कि इस गांव का नाम मणिभद्र देव के नाम पर ‘माणा’ पड़ा था। उत्तराखंड आने वाले पर्यटक या श्रद्धालु जब भी बदरीनाथ धाम जाते हैं तो माणा गांव जरूर पहुंचते हैं। इस गांव के आगे केवल भारतीय सेना की पोस्ट है।
- माणा गांव (Mana Village) सरस्वती नदी के तट पर बसा है। चारों ओर हिमालय के ऊंचे पहाड़ों से घिरा ये गांव बदरीनाथ से करीब तीन किमी ही दूर है। माणा का संबंध महाभारत काल से भी माना जाता है और भगवान गणेश से भी यहां की कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि माणा गांव से होकर ही पांडव स्वर्ग गए थे।
- वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध से पूर्व माणा तिब्बत से व्यापार का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। लेकिन युद्ध के बाद यहां से तिब्बत की आवाजाही पर रोक लगा दी गई। आज भी हर साल हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं। वहीं हजारों श्रद्धालु माणा की ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व पौराणिक विरासत को देखने के लिए माणा गांव का रुख करते हैं।
- इस गांव का संबंध बदरीनाथ धाम से भी जुड़ा हुआ है। बदरीनाथ धाम मंदिर के कपाट बंद होने पर भगवान बदरीश को पहनाया जाने वाला घृत कंबल भी माणा गांव की महिलाएं ही तैयार करती हैं।
- माणा में भोटिया जनजाति के लोग रहते हैं। यहां के लोग तीर्थाटन-पर्यटन से जीविका चलाते हैं। माणा आने वाले पर्यटक व श्रद्धालुओं द्वारा यहां के निवासियों द्वारा बनाए गए ऊनी वस्त्र, गलीचे, कालीन, दन, शाल, पंखी सहित अन्य पारंपरिक वस्तुएं खरीदे जाते हैं। जिससे इन्हें आय होती है।
- इस गांव से जुड़ी एक और मान्यता यह भी है कि माणा आने वाले हर व्यक्ति की गरीबी दूर हो जाती है। इस गांव को भगवान शिव का आशीर्वाद है कि जो भी यहां आएगा, उसकी गरीबी दूर हो जाएगी। माणा में सरस्वती, वेदव्यास और गणेश मंदिर भी हैं।
- भारत के आखिरी गांव (Last Indian Village) में आखिरी दुकान (Last Indian Shop) भी है। जहां फोटो क्लिक करवाने के लिए पर्यटक दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। यहां स्थित हिंदुस्तान की आखिरी दुकान चाय की दुकान है। जहां लोग चाय की चुस्की लेते हैं।
- गांव माणा में आज भी सरस्वती की पूजा की जाती है। माणा से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर तिब्बत सीमा की तरफ (माणा पास) से आने वाली नदी को सरस्वती माना जाता है। वहां सरस्वती कुंड से इस नदी का उद्गम माना जाता है।
- माणा में भीम पुल के पास सरस्वती की पूजा की जाती है। इसके लिए देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। वेद पुराणों में जिक्र है कि सरस्वती माणा के पास अलकनंदा नदी में मिलकर विलुप्त हो जाती है।
- किवदंतियों के अनुसार वेदव्यास ने सरस्वती नदी के किनारे ज्ञान प्राप्त किया था। वेदव्यास जब गणेश जी को महाभारत लिखवा रहे थे तो सरस्वती नदी की आवाज से व्यवधान पहुंच रहा था। जब वेदव्यास के अनुरोध के बाद भी सरस्वती नहीं हुई तो उसे श्राप दे दिया था वेदव्यास ने कहा कि उसका नाम यहीं तक रहेगा। तभी से सरस्वती को विलुप्त माना जाता है। अलकनंदा में मिलने के बाद सरस्वती के जल का रंग नहीं दिखता। सरस्वती नदी प्रयागराज इलाहाबाद में जाकर प्रकट होती है।
माणा आएं तो यहां जरूर जाएं
- नीलकंठ चोटी
- ताप्त कुंड
- भीम पुल
- माता-मूर्ति मंदिर
- वसुंधरा
- व्यास गुफा
माणा गांव घूमने के लिए कब जाएं
बारिश के अलावा बाकी सभी मौसम माणा गांव घूमने के लिए बेहतर है। यहां मई से लेकर अक्टूबर तक पर्यटक पहुंचते हैं। पहाड़ों से घिरे होने की वजह से यहां गर्मियों में मौसम सुहावना होता है।
अगर आप सर्दियों में यहां आने की सोच रहे हैं तो अपने साथ मोटे स्वेटर्स और जैकेट्स रखना न भूलें, क्योंकि सर्दियों में यहां पर तापमान बहुत कम होता है।
कैसे पहुंचें
देहरादून रेलवे स्टेशन पहुंचकर आपको यहां से चमोली के टैक्सी और बस मिल जाएगी। आप ऋषिकेश और हरिद्वार से भी बदरीनाथ के लिए सीधे बस या टैक्सी ले सकते हैं। यहां से माणा गांव बेहद पास है। यहां का निकटतम हवाई अड्डा जौलीग्रांट है।