यहां राधा के रूप में शिव और कृष्ण के रूप में विराजमान माता पार्वती, पूजा से दूर होती है शादी में आ रही बाधा
Krishna Janmashtami 2022 देश में ऐसे कई मंदिर हैं जहां विशेष रूप से भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का 8वां अवतार माने जाते हैं। देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भगवान कृष्ण की अपार श्रद्धा देखने को मिलती है।
टीम जागरण, हरिद्वार: Krishna Janmashtami 2022 : इस बार जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) का पर्व 18 और 19 अगस्त को मनाया जाएगा। जिसे लेकर उत्तराखंड के विभिन्न मंदिरों में तैयारियां जारी हैं। भगवान श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का 8वां अवतार माने जाते हैं। देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भगवान कृष्ण की अपार श्रद्धा देखने को मिलती है।
विवाह में आ रही तमाम रुकावटें हो जाएंगी दूर
देश में ऐसे कई मंदिर हैं जहां विशेष रूप से भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। इसी क्रम में हम आपको भगवान श्रीकृष्ण के ऐसे मंदिर (Radha Krishna Mandir) के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां जाने से विवाह में आ रही तमाम रुकावटें दूर हो जाएंगी। यह मंदिर धर्मनगरी हरिद्वार में स्थित है। जहां पूरे साल भक्तों को आना लगा रहता है।
- हरिद्वार के कनखल में स्थित राधा श्रीकृष्ण मंदिर में शिव राधा के रूप में और पार्वती कृष्ण भगवान के रूप में विराजमान हैं।
- मान्यता है कि अविवाहित अगर सच्चे मन से 40 दिन तक मंदिर में भगवान राधा कृष्ण की पूजा करता है तो विवाह में आ रही बाधा दूर होती है।
- श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इस राधा श्रीकृष्ण मंदिर में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
- पुराणों के अनुसार हरिद्वार में सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के पुत्र राजा दक्ष की नगरी थी और यहीं भगवान कृष्ण राधा के साथ कनखल में भी विराजते हैं।
- इस मंदिर का निर्माण लंढौरा रियासत की महारानी ने कराया था। जिसके बाद महारानी की सभी परेशानियां दूर हो गई थीं।
- एक मान्यता के मुताबिक लंडौरा रियासत की महारानी धर्मकौर काफी धर्मप्रिय थीं, वह अपने बेटे की वजह से काफी परेशान रहती थीं।
- एक बार तीर्थ यात्रा के दौरान वह मथुरा और वृंदावन पहुंचीं, जिसके बाद उन्होंने एक कृष्ण मंदिर बनाने की इच्छा जताई।
- कहा जाता है कि तब भगवान श्री कृष्ण उनके सपने में आए और कहा कि वह गंगा के किनारे हरिद्वार के कनखल में उनका मंदिर बनवाएं।
- इसके बाद महारानी धर्मकौर ने कनखल में राधाकृष्ण का यह मंदिर बनवाया। जहां अब दूर-दूर से लोग पूजा-अर्चना करने आते हैं।
मंदिर में पूजा करने का सर्वश्रेष्ठ समय
इस मंदिर को सिद्ध और जागृत मंदिर माना जाता है। राधाकृष्ण मंदिर में साल भर वक्त पहुंचते हैं, लेकिन माघ मास की अष्टमी के दिन से मंदिर में पूजा की चालीसा शुरू की जाए तो उसका विशेष महत्व होता है।
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