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जन्माष्टमी पर्व कल, मंदिर प्रबंधन कमेटियां मंदिरों को सजाने में जुटी

-बाजार में भी आई कान्हा की ड्रेस व अन्य सजावट का सामान -शहर के जयंती देवी मंदिर सतनारा

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 10:54 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 10:54 PM (IST)
जन्माष्टमी पर्व कल, मंदिर प्रबंधन कमेटियां मंदिरों को सजाने में जुटी
जन्माष्टमी पर्व कल, मंदिर प्रबंधन कमेटियां मंदिरों को सजाने में जुटी

-बाजार में भी आई कान्हा की ड्रेस व अन्य सजावट का सामान

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-शहर के जयंती देवी मंदिर, सतनारायण मंदिर सहित अन्य सभी मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया जा रहा

जन्माष्टमी को लेकर भी असमंजस की स्थिति जागरण संवाददाता, जींद: लगभग दो साल के बाद जींद में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार शुक्रवार को श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाएगा। हिदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। जींद में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर शुक्रवार को मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया जाएगा। वहीं जन्माष्टमी को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग वीरवार को जन्माष्टमी मना रहे हैं तो कुछ शुक्रवार को।

हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते पिछले दो वर्ष से मंदिरों को भव्य तरीके से नहीं सजाया जा रहा था, क्योंकि प्रशासन की तरफ से भी एक साथ कई श्रद्धालुओं के एकत्रित होने पर रोक थी। ऐसे में इस बार मंदिरों की भव्यता देखने लायक होगी। मंदिर प्रबंधन कमेटियां मंदिरों को सजाने में जुटी हैं। मंदिरों में कान्हा के झूले भी सजाए जा रहे हैं और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए स्वयंसेवकों की डयूटियां भी लगाई गई है।

इस बार शहर के जयंती देवी मंदिर, सतनारायण मंदिर सहित अन्य सभी मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया जा रहा है। कान्हा के झूले तो लगाए ही जा रहे हैं।

वहीं हनुमान गली स्थित दुकानों पर पर्व और व्रत को लेकर सभी तरह की वस्तुओं की व्यवस्था है। बुधवार को यहां श्रद्धालुओं ने लड्डू गोपाल के लिए तरह-तरह की वस्तुओं को खरीदा। इसके अलावा कान्हा को पहनाए जाने वाले पीले रंग के वस्त्रों, बच्चों के लिए ड्रेस व माला की खरीद की गई।

जन्माष्टमी तिथि पर विधि अनुसार पूजा करने का विधान : नवीन

जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जन्माष्टमी पर्व 19 अगस्त शुक्रवार को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी तिथि पर विधि अनुसार पूजा करने का विधान है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद श्री कृष्ण को गंगाजल और दूध से स्नान कराएं। फिर मोर मुकुट, बांसुरी, वैजयंती माला, कुंडली, तुलसी दल, कुंडल से उनका श्रृंगार करें। इस दिन श्री कृष्ण के झूले को भी सजाएं। पूजा के दौरान लड्डू गोपाल को मखाने, मक्खन, फल, फूल, मिश्री, मेवे, धूप, दीप, मिठाई अर्पित करें।

ठीक इसी तरह रात के 12 बजे श्री कृष्ण की पूजा करें। जो व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत रखता है उसे जाने-अनजाने में किए गए पापों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं को इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप गोपाल का पूजन कर पंचामृत से स्नान कर नया वस्त्र धारण कराकर गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए।


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