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Jamshedpur News: आजादी के 75 साल बाद भी समस्याओं की कैद में है झारखंड के कई गांव, नाला व चुआं का पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

Jamshedpur News यहां बाईलोर टोला काफी सुदूर क्षेत्र में है यहां पर पानी की सुविधाओं की भारी कमी है। यहां पांच चापाकल है। सभी खराब पड़े है। ग्रामीण जंगलों से दातुन पत्ता व जलवान लकड़ी लाक बेच अपनी जीविका चलाते है।

By Madhukar KumarEdited By: Published: Sun, 14 Aug 2022 03:21 PM (IST)Updated: Sun, 14 Aug 2022 03:21 PM (IST)
Jamshedpur News: आजादी के 75 साल बाद भी समस्याओं की कैद में है झारखंड के कई गांव, नाला व चुआं का पानी पीने को मजबूर ग्रामीण
Jamshedpur News: आजादी के 75 साल बाद भी समस्याओं की कैद में है झारखंड के कई गांव

जग्न्नाथपुर, (बिशाल गोप)। भले ही हम आज देश आजादी का 75 वां वर्षगांठ मना रहे है। पर आज की गांव में समस्याऐं है जो आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी विकास के पैमाने को मापने के लिए काफी है। लोग स्वतंत्र भारत में रहते जरुर है पर समस्याओं से आजादी आज भी लोगों को नही मिली है। जिसका एक उदाहरण जगन्नाथपुर प्रखंड के सुदूर टोला बाईलोर में देखा जा सकता है। यहां पानी व सड़क की उचित व्यवस्था नही है। यहां के लोगों के लिए रोजगार के भी साधन नही है। स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधा की स्थिति भी दयनीय। आज भी यहां के लोग खेत, नाला व चुआं के गंदा पानी पर अपनी जिविका को समेटे हुए है। गंदा व बारिश का पानी पीने से यहां के लोग अलग अलग तरह के बीमारी से ग्रसित हो रहे है।

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अभी हाल ही में बाईलोर गांव में बच्चों व बढ़ो में चर्म रोग फैलने की बात सामने आयी है। बाईलोर कलैईया पंचायत का गौड़दिघियां गांव का टोला है। यहां दिनों चर्म रोग ने पैर फैला रखा है। कई ऐसे बच्चे है जिन्हे चर्म रोग जैसे लक्ष्ण है। इन बच्चों के शरीर के कई हिस्सा में फुंसी और घाव निकल रहे है। बच्चे काफी परेशान है। तकलिफ में है। साथ ही परिजनों में बच्चों के उपचार को लेकर भी काफी चिंता बढ़ गई है। कई बच्चे शरीरिक स्तर से कमजोर भी है। यहां पर किसी तरह की कोई खास चिकित्सा सुविधा भी नही है। परिजन यहां वहां पैसा खर्च कर उपचार करा रहे है पर बच्चे स्वास्थ्य नही हो पा रहे है। बता दे कि डांगुवापोसी स्टेशन से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर मुखी टोला व बाईलोर टोला है।

यहां बाईलोर टोला काफी सुदूर क्षेत्र में है यहां पर पानी की सुविधाओं की भारी कमी है। यहां पांच चापाकल है। सभी खराब पड़े है। ग्रामीण जंगलों से दातुन, पत्ता व जलवान लकड़ी लाक बेच अपनी जीविका चलाते है। साथ ही ग्रामीण यहां के खेत व नाला के पानी से नहाने धोने व अपने दिनचार्या का कारण करते है। सम्भावना जतायी जा रही है कि खेत व नाला का पानी उपयोग करने से तो कई बच्चों व ग्रामीणों में चर्म रोग की तो शिकायत नही हो रही है। बाईलोर में लगभग 30 परिवार रहते है। जनसंख्या की बात करें तो लगभग ढेड़ सौ है। सुविधाओं की बात करें तो आंगनवाड़ी केंद्र है। उपस्वास्थ्य केंद्र लगभग चार किलोमीटर दुर कलैईया गांव में है। यहां की प्राथमिक विधालय थी जो 2018 से विलय हो चुकी है। बिजली की सुविधा है।

जब बाईलोर में बच्चों के शरीर में फोड़ा, फुंसी जैसे चर्च रोग की शिकायत होने की सूचना कांग्रेस असंगठित कामगार के प्रखंड अध्यक्ष सुरज मुखी को मिली तो वे वस्तु स्थिति जानने पहुंचे। पाया कि बाईलोर में कई बच्चों में फुंसी छोटे बड़े और घाव निकल गये है। सुरज मुखी ने इसकी जानकारी सांसद गीता कोड़ा, प्रखंड विकास पदाधिकारी चंदन प्रसाद एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. जयश्री किरण को वाटसप के माध्यम से जानकारी दी गई है। कांग्रेस असंगठित कामगार प्रखंड अध्यक्ष सुरज मुखी ने बाईलोर में प्रखंड विकास पदाधिकारी से स्वास्थ्य शिविर जल्द से जल्द लगवाने की मांग की है।


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