800 हेक्टेयर भूमि में अभी तक मात्र आठ प्रतिशत हुई धान की रोपाई
संवाद सूत्र शंभुगंज (बांका) मानसून की बेरूखी के कारण खेती - किसानी पर संकट छा गया है। प्रखंड के 19 पंचायतों में धान रोपाई का लक्ष्य 9800 हेक्टेयर जमीन में अभी तक करीब आठ प्रतिशत खेती हुई है। वह भी बोरिग और पंपिग मशीन की दम पर। सावन और भादो यह दो माह धान रोपणी के लिए सबसे अनुकूल समय है।
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भादो में कड़ाके की धूप देख किसानों के जल रहे अरमान
संवाद सूत्र, शंभुगंज (बांका) : मानसून की बेरूखी के कारण खेती - किसानी पर संकट छा गया है। प्रखंड के 19 पंचायतों में धान रोपाई का लक्ष्य 9800 हेक्टेयर जमीन में अभी तक करीब आठ प्रतिशत खेती हुई है। वह भी बोरिग और पंपिग मशीन की दम पर। सावन और भादो यह दो माह धान रोपणी के लिए सबसे अनुकूल समय है। सावन में वर्षा नहीं के बराबर हुई। अब भादो मास में कड़ाके की धूप देख किसानों के मानों अरमान जल रहे हैं। कई जगहों पर किसान एक स्वर से सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग करने लगे हैं।
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क्या कहते हैं किसान
कुर्मा गांव के किसान राजाराम सिंह ने बताया कि जीविका का मुख्य साधन धान है। वर्षा नहीं होने से धान खेती पर खतरा मंडराने लगा है। अधिकांश किसानों का बिचड़ा जलकर बर्बाद हो गया है। सरकार को सुखाड़ घोषित करनी चाहिए।
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मोहनपुर गांव के किसान विजय कुमार सिंह ने बताया कि यहां के खेती वर्षा पर आश्रित है। मानसून की बेरूखी से परेशानी बढ़ गई है। काफी मेहनत और खर्च के बाद बोरिग के माध्यम से करीब दो-तीन एकड़ जमीन में धान लगाया गया है। पर वर्षा नहीं होने से वह भी बर्बादी की कगार पर है।
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डाका गांव के किसान रामजी यादव ने बताया कि भादो मास में 50 फीसद तक खेती का काम हो जाता था, लेकिन इस बार मुश्किल से पांच प्रतिशत भी खेती नहीं हो सकी है। सरकार को सुखाड़ क्षेत्र घोषित कर देनी चाहिए।
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कोट
करीब सात से आठ प्रतिशत तक धान रोपाई का काम हुआ है। अभी दो सप्ताह तक खेती का अनुकूल समय है। यदि वर्षा नहीं होती है तो किसानों को वैकल्पिक खेती के लिए भी जागरूक करने का काम जारी है।
चितरंजन प्रसाद, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, शंभुगंज