Independence के अनसुने किस्से, नब्ज पकड़कर बीमारी ठीक करने वाले राम कुमार ने किया था अंग्रेजों का ‘इलाज’
Independence Day 2022 पेशे से तो जाने-माने वैद्य थे मगर रगों में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उबाल था। स्वाधीनता को लेकर चलने वाले आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाते थे। इसके चलते दो बार जेल भी गए मगर विरोध-प्रदर्शन और युवाओं का नेतृत्व नहीं छोड़ा।
अमरोहा, (अनिल अवस्थी)। Independence Day 2022 : पेशे से तो जाने-माने वैद्य थे मगर, रगों में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उबाल था। स्वाधीनता को लेकर चलने वाले आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाते थे। इसके चलते दो बार जेल भी गए मगर विरोध-प्रदर्शन और युवाओं का नेतृत्व नहीं छोड़ा। इसकी परिणति में देश को आजादी मिली और वह विधायक भी बने। प्रधानमंत्री ने ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया। ऐसे थे मुहल्ला कोट के रहने वाले वैद्य रामकुमार।
30 अक्टूबर 1916 को जन्मे पंडित रामकुमार नब्ज देखते ही मर्ज पकड़ लेते थे। इसलिए वह वैद्य जी के नाम से मशहूर थे। इनके भतीजे संजय कृष्णात्रेय बताते हैं कि पढा़ई के दौरान ही ताऊ रामकुमार युवा नेतृत्व में सक्रिय थे। अंग्रेजों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन की रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी भी वही उठाते थे। मरीजों से फुर्सत पाते ही स्वाधीनता हासिल करने को ताने-बाने बुनने लगते थे।
इसकी भनक लगने पर अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें मुरादाबाद जेल भेज दिया। महीने भर बाद छूटकर बाहर आए तो उन्होंने विरोध की धार और तेज कर दी। इसके चलते उन्हें दोबारा बिजनौर जेल भेज दिया गया। वहां कोड़ों की सजा भी मिली। मगर वह बगैर हार माने स्वाधीनता मिलने तक लड़ते ही रहे। 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद वैद्य राम कुमार ने जुलूस निकालकर महोत्सव मनाया था।
1957 में निर्दलीय चुनाव लड़े और विधायक चुने गए। 1962 तक क्षेत्र के विकास का झंडा उठाए रहे। जेएस कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. अशोक रुस्तगी बताते हैं कि वैद्य रामकुमार शिक्षा भारत का सपना संजोये थे। उनका मानना था कि बगैर शिक्षा के सर्वांगीण विकास संभव नहीं है। इसके लिए उन्होंने इस दिशा में भी काम किया। वर्ष 1960 में जेएस हिंदू कालेज की नींव रखने वाले संस्थापक सदस्यों में भी उनका प्रमुख नाम है। कालेज निर्माण को उन्होंने अपना कुर्ता फैलाकर चंदे की बड़ी धनराशि एकत्र की थी।
इंदिरा गांधी ने तामपत्र देकर किया था सम्मानित
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वैद्य राम कुमार को ताम्रपत्र से सम्मानित किया था। उनका नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची में भी शामिल था। उनकी शादी एयर होस्टेज विमला से हुई थी जोकि शादी के बाद बीडीओ बन गईं थीं। 2 जनवरी 1979 को रामकुमार का स्वर्गवास हो गया। डेढ़ वर्ष पूर्व विमला भी गुजर गईं। रामकुमार के इकलौते पुत्र प्रशांत की वर्ष 1982 में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी।