आजाद हिंद फौज में शामिल होकर अंग्रेजी हुकूमत के दांत किए थे खट्टे, हंसते-हंसते भारत मां पर लुटा दी थी जान
2022 Indian Independence Day in Hindi वीर बलिदानी केसरीचंद (Martyr Kesari Chand) ने देश को आजाद करवाने के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए थे। उनकी स्मृति में चकराता के रामताल गार्डन में हर साल तीन मई मेला आयोजित होता है। जिसमें हजारों लोग जुटते हैं।
सवांद सूत्र, साहिया(देहरादून) : Independence day 2021 : आजाद हिंद फौज (Azad Hind Fauj) में शामिल होकर उत्तराखंड के इस वीर सपूत ने अंग्रेजी हुकूमत के दांत खट्टे कर दिए थे और पकड़े जाने पर हंसते-हंसते भारत मां पर अपनी जान लुटा दी थी।
स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है उत्तराखंड के वीरों का नाम
आजादी की लड़ाई में भी उत्तराखंड के वीरों का नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है। इसी क्रम में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के वीर शहीदों का नाम भी शामिल है।
इनमें प्रमुख नाम क्यावा के वीर बलिदानी केसरीचंद (Martyr Kesari Chand) का है। जिन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए थे। आइए जानते हैं भारत मां के इस वीर बेटे के बारे में :
- वीर केसरीचंद (Martyr Kesari Chand) का जन्म एक नवंबर 1920 को चकराता तहसील के क्यावा गांव में पंडित शिवदत्त के घर में हुआ था।
- केसरीचंद में बचपन से ही देशभक्ति का जज्बा था।
- गांव के प्राथमिक स्कूल में शिक्षा के बाद उन्होंने डीएवी कालेज देहरादून से 12वीं तक की पढ़ाई की।
- इसके बाद केसरी ने पढ़ाई छोड़ दी और दस अप्रैल 1941 को रायल इंडियन आर्मी सर्विस कोर में बतौर सूबेदार भर्ती हो गए।
- इसके बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आह्वान पर वह मात्र 24 साल की उम्र में आजाद हिंद फौज (Azad Hind Fauj) में शामिल हुए और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाए।
- 29 अक्टूबर 1941 को केसरीचंद को द्वितीय विश्व युद्ध के लिए भेज दिया गया।
- नेताजी के आह्वान पर वह आजाद हिंद फौज की जंग में कूद गया।
- 1944 में आजाद हिंद फौज बर्मा होते हुए इम्फाल पहुंची तो अंग्रेजों ने केसरीचंद को इम्फाल का पुल उड़ाते हुए पकड़ लिया।
- वीर केसरीचंद पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया।
- 12 फरवरी 1945 को केसरीचंद को फांसी की सजा सुनाई गई।
- और तीन मई 1945 को वह हंसते-हंसते भारत मां के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए।
रामताल गार्डन में हर साल तीन मई लगता है मेला
वीर केसरीचंद (Martyr Kesari Chand) की स्मृति में चकराता के रामताल गार्डन में हर साल तीन मई मेला आयोजित होता है। जिसमें हजारों लोग जुटते हैं।