Independence Day 2022: 'धन नहीं, आपका आशीर्वाद चाहिए,' यह सुनकर बापू ने रणवीर सिंह के सिर पर रख दिया था हाथ
Independence Day 2022 बुलंदशहर के बीबी नगर क्षेत्र के गांव धमैड़ा सालाबाद निवासी चौधरी रणवीर सिंह महात्मा गांधी के हरिजन अखबार से जुड़े थे। वर्ष 1942 में कस्तूरबा गांधी जिले में पहुंचीं थीं। इस दौरान गांव की चौपाल पर तीन दिन तक चरखा चलाने के साथ जनजागरण कार्यक्रम चलता रहा।
बुलंदशहर, डा. राकेश गौतम। बीबी नगर क्षेत्र के गांव धमैड़ा सालाबाद निवासी चौधरी रणवीर सिंह महात्मा गांधी के हरिजन समाचारपत्र में कोषाध्यक्ष रहे थे। भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान प्रमुख नेताओं को जेल होने पर कस्तूरबा गांधी पर और अधिक जिम्मेदारी आ गई। इस दौरान जनजागरण को बुलंदशहर पहुंचीं कस्तूरबा गांधी ने चौधरी रणवीर सिंह के आवास पर तीन दिन तक प्रवास किया था।
चौधरी साहब ने बापू से मांगा सिर्फ आशीर्वाद
धमैड़ा सालाबाद निवासी आज भी आजादी के आंदोलन में गांव के सपूतों के योगदान पर गर्वित हैं। चौधरी रणवीर सिंह, चौधरी अमर सिंह, पंडित दीनदयाल शर्मा, पदम सिंह व देशराज सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानी इस गांव ने दिए। चौधरी रणवीर सिंह हरिजन अखबार के कोषाध्यक्ष थे, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। ग्रामीण बजुर्गों के हवाले से बताते हैं कि कुछ लोगों ने महात्मा गांधी से रणवीर सिंह की आर्थिक स्थिति कमजोर होने का हवाला देते हुए उनकी मदद करने का आग्रह किया गया तो बापू ने कहा 'कोषाध्यक्ष हैं, जो चाहे ले लें।' रणवीर सिंह ने सिर्फ बापू का आशीर्वाद मांगा था। चौधरी रणवीर सिंह को बापू के आशीर्वाद देने का चित्र
आज भी आजादी की गौरव गाथा को व्यक्त कर रहा है।
12 सितंबर 1942 को गांव पहुंचीं थीं कस्तूरबा गांधी
धमैड़ा सालाबाद में 12 सितंबर 1942 को कस्तूरबा गांधी आजादी के जनजागरण को आईं थी। उनने तीन दिन के प्रवास के कारण भारत छोड़ो आंदोलन ने जनपद में जोर पकड़ लिया था। कस्तूरबा गांधी ने सालाबाद में चौधरी रणवीर सिंह के आवास पर जनजागरण कार्यक्रम के तहत तीन दिन का प्रवास किया था। गांव की चौपाल पर तीनों दिन चरखा चलाने के साथ जनजागरण का कार्यक्रम भी चला था। कार्यक्रम में छुआछूत मिटाने, शिक्षित व स्वावलंबी व देश सेवा के कार्यक्रमों में प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया गया था।
विनोबा भावे का भी हुआ आगमन
इस दौरान विनोबा भावे व ठक्कर बाबा जैसे नेताओं का भी सालाबाद में आगमन हुआ था। जनजागरण कार्यक्रम के बाद जिले में भारत छोड़ो आंदोलन ने और अधिक जोर पकड़ा था।
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