Independence day 2022: कानपुर के श्याम लाल गुप्त के झंडा गीत के दीवाने थे क्रांतिकारी, महात्मा गांधी ने भी बताया था प्रेरक
कानपुर में नरवल के पद्मश्री से सम्मानित श्याम लाल गुप्त पार्षद स्वतंत्रता आंदोलन में आठ बार जेल गए। उनके लिखे झंडा गीत के क्रांतिकारी भी दीवाने थे।महात्मा गांधी ने कहा था कि आजादी के लिए झंडा गीत ने प्रेरक का काम किया।
कानपुर, जागरण संवाददाता। वह आजादी के लिए लड़ाई लड़ते हुए आठ बार जेल गए। साढ़े छह साल तक सलाखों के पीछे रहते हुए भी आजादी की लड़ाई को धार देते रहे। झंडा गीत लिखकर आंदोलनकारियों के लिए प्रेरणा की वजह बन गए। महात्मा गांधी ने भी कहा था कि उनके गीत 'झंडा ऊंचा रहे हमारा, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा' ने प्रेरक का काम किया।
यह शख्सियत थे नरवल में जन्मे पद्मश्री से सम्मानित श्याम लाल गुप्त पार्षद Shyamlal Gupta Parshad, जिनकी आंखों में देश की आजादी का सपना बचपन से ही पलने लगा था। पार्षद स्मृति संस्थान के समन्वयक सुरेश गुप्ता बताते हैं कि श्यामलाल गुप्त के पिता विशेश्वर प्रसाद व मां कौशल्या देवी ने उनमें शुरू से ही देशभक्ति भरी।
साढ़े छह साल जेल में रहने के दौरान उन्हें महात्मा गांधी ,पंडित मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, गोविंद वल्लभ पंत, जमुनालाल बजाज, महादेव देसाई, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन, सोहनलाल द्विवेदी, रामनरेश त्रिपाठी जैसे लोगों का सानिध्य मिला।
झंडा गीत महात्मा गांधी व गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रेरणा से लिखा था। 13 अप्रैल, 1924 को जलियांवाला बाग दिवस पर फूलबाग में पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में सार्वजनिक रूप से इसका सामूहिक गान हुआ। उन्हें कई सम्मान मिले।
सुकवि स्नेही के सानिध्य में साहित्यिक मासिक पत्रिका सचिव का संपादन व प्रकाशन वह 50 साल तक करते रहे। भारत छोड़ो आंदोलन में प्रमुखता से भाग लिया और 19 साल तक लगातार फतेहपुर कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
श्यामलाल गुप्त का जन्म नौ सितंबर 1896 को हुआ था, जबकि निधन 10 अगस्त, 1977 को हुआ। 1973 में उन्हें 26 जनवरी को पद्मश्री से अलंकृत किया गया। पंडित नेहरू ने कहा था कि श्याम लाल गुप्त को भले लोग न जानें, लेकिन उनके झंडा गीत को पूरा देश जानता है।
बेटी को सौंपा तिरंगा
उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग महासंघ के अध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने रविवार को झंडा गीत के रचयिता पद्मश्री से सम्मानित श्यामलाल गुप्त पार्षद की बेटी के घर जाकर उन्हें हाथ से बना खादी के सूत से निर्मित तिरंगा समर्पित किया। झंडा स्वीकार करने वालों में अरुण गुप्ता, सौरभ गुप्ता, कोमल गुप्ता, वाणी गुप्ता, ज्ञानेंद्र गुप्ता रहे।