सुपर काप जाधव को राष्ट्रपति पुलिस पदक, अपराध और नशा मुक्त समाज से लेकर जरूरतमंदों की मदद तक का तय किया सफर
एडीजीपी श्रीकांत जाधव को स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया। कई ऐसे अभियान शुरू किए जिनका आज सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है। अपराध और नशा मुक्त समाज से लेकर जारूरतमंदों की मदद भी की।
अंबाला, [दीपक बहल]। करीब 28 साल की बेदाग नौकरी, उपलब्धियों से भरा कार्यकाल, बदमाशों के एनकाउंटर, नशा मुक्ति के स्टेट एक्शन प्लान बनाकर लागू करना और समाज सेवा के जज्बे ने हरियाणा कैडर के 1994 बैच के आइपीएस एडीजीपी श्रीकांत जाधव की अलग ही पहचान बनाई है। इसी कड़ी में हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एचएसएनसीबी) के चीफ एवं अंबाला रेंज के एडीजीपी श्रीकांत को उल्लेखनीय सेवाओं के लिए साल 2022 में राष्ट्रपति पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया।
श्रीकांत जाधव ने शराब तस्करी की जांच कर राज्य सरकार को अहम सुझाव दिये जिससे जहां आमदनी बढ़ी वहीं अंतरराज्यीय शराब तस्करी पर शिकंजा कसा गया। श्रीकांत जाधव ने पुलिस सेवा में रहते हुए जो दायित्व मिले, उसे तो बखूबी निभाया, जबकि समाज के लिए कुछ करने ऐसे अभियान शुरू किए, जो आज सकारात्मक प्रभाव दिखा रहे हैं।
उन्होंने जिन अभियानों का पौधारोपण किया, वे आज पेड़ बन चुके हैं। झज्जर का एक ऐसा गांव जहां पर रंजिशन दो गुटों में बीस सालों में करीब बाइस हत्याएं हुईं, उस गांव में पुलिस ने ऐसा अभियान चलाया कि यह गांव आज पूरी तरह से सामाजिक सौहार्द में है। इस में ब्रह्माकुमारियों की भी मदद ली, जिन्होंने पुलिस के इस अभियान में अपना रोल बखूबी निभाया।
यही नहीं बेसहारा गोवंश को गौशालाओं तक पहुंचाना, प्रयास एनजीओ से नशा तस्करी और नशाखोरी पर प्रहार, फोरेंसिक साइंस लैब में बार कोडिंग को शुरू करवाना, रोटी बैंक शुरु करना कुछ ऐसे कार्य हैं, जिनको जाधव ने अपने प्रयासों से शुरू किए। उनके यह प्रयास आज भी एक प्रेरणा के स्त्रोत हैं। उनको उल्लेखनीय सेवाओं के लिए साल 2022 में राष्ट्रपति पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया है।
यह है संक्षिप्त विवरण
- मौजूदा समय में वे हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एचएसएनसीबी) के एडीजीपी हैं और अंबाला रेंज के आइजी पद पर तैनात हैं
- मूल रूप से अकोला महाराष्ट्र के रहने वाले हैं
- 1994 बैच के आइपीएस आफिसर हैं
- वे अब तक राज्यपाल के एडीसी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो दिल्ली के एडिशनल डायरेक्टर, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो चंडीगढ़ व जम्मू के जोनल डायरेक्टर, आठ जिलों के एसपी, आइजीपी क्राइम पंचकूला टेलीकाम सीटीआइ होमगार्ड तथा रेलवे व कमांडो रोहतक रेंज साउथ रेंज, फोरेंसिक साइंस लैब व स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरों में डायरेक्टर, हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन में डायरेक्टर, माड्रनाइजेशन एंड वेलफेयर हरियाणा में एडीजीपी के पद पर काम कर चुके हैं।
- साल 2011 में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए उनको राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया
- यूके की पुलिस के साथ उन्होंने मिड करियर ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लिया
एडीजीपी श्रीकांत जाधव द्वारा शुरू किए गए कुछ कार्य
- एसपी रहते हुए प्रयास एनजीओ से नशामुक्ति के लिए अभियान फतेहाबाद से शुरू किया। इस अभियान के तहत नशे से प्रभावित करीब एक हजार परिवारों तक पहुंचे और दलदल से बाहर निकालने में मदद की। यह एनजीओ अब प्रदेश भर में काम कर रहा है। इसी के माध्यम से जहां लोगों को नशा छोडऩे को प्रेरित किया, वहीं नशा तस्करों को भी दबोचा
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो चंडीगढ़, दिल्ली व जम्मू में रहते हुए साल 2003 से 2007 तक भारी मात्रा में नशीले पदार्थ बरामद किए। हिमाचल में नशे की खेती को नष्ट किया। भारत-पाक से नशा तस्करी के रैकेट को तोड़ा। अंतरराष्ट्रीय नशा तस्करों को दबोचा, जिनके ङ्क्षलक इजरायल व यूरोप से मिले, इनके पास से 156 किलो चरस तथा 125 किलो हेरोइन जब्त की।
- बेसहारा पशुओं के लिए अभियान शुरू किया गया। इसके तहत हिसार से गऊ माता आवारा नहीं बेसहारा है के तहत तीन महीनों में एक करोड़ रुपये अलग-अलग गौशालाओं को दान दिए गए और करीब 1500 हजार बेसहारा गोवंश को गौशाला तक पहुंचाया गया।
- झज्जर से एक गांव गोद लेने का अभियान शुरू किया गया। गांव मंडोटी को गोद लिया, जहां दो गुटों के लिए करीब बीस साल से चली आ रही रंजिश के कारण लगभग 22 हत्याएं हो चुकी थीं। एक माह में अपराधियों को दबोचा गया इस में ब्रह्माकुमारी आश्रम की मदद भी ली गई और यहां का माहौल पूरी तरह से बदल दिया गया।
- फतेहाबाद से पुलिस दोस्त/मित्र अभियान शुरू किया गया, जिसके तहत पुलिस व आम जनता की मीटिंग हुई और अपराध नियंत्रण में मद मिली।
- फोरेंसिक साइंस लैब में बार कोडिंंग शुरू की। ऐसा सिस्टम बनाया गया जिसमें पुलिस थाने से बार कोड तो लगता ही था, जबकि लैब में बार कोड लगाया जाता। इससे काम काफी आसान हुआ और पारदर्शिता भी आई। इसके लिए साल 2019 में स्काच अवार्ड भी मिला।
- मधुबन से ही रोटी बैंक शुरू किया गया, जो आज करनाल, कुरुक्षेत्र और फरीदाबाद में चल रहा है।