आजादी के नायक: हवा में लहराते तिरंगे को देख ,गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है: महाशय परमानंद
आजादी की लड़ाई लड़ते वक्त जो सपने देखे थे उनमें से कई पूरे हो रहे हैं। मेरा सपना था कि हर घर में तिरंगा लहराता नजर आए वह आजादी के अमृत महोत्सव पर पूरा हो रहा है। इस मौके पर सभी देशवासियों को बधाई।
अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम
आजादी की लड़ाई लड़ते वक्त जो सपने देखे थे उनमें से कई पूरे हो रहे हैं। मेरा सपना था कि हर घर में तिरंगा लहराता नजर आए वह आजादी के अमृत महोत्सव पर पूरा हो रहा है। इस मौके पर सभी देशवासियों को बधाई। खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिन्होंने हर घर तिरंगा मुहिम से युवाओं को देश प्रेम से ओतप्रोत कर दिया। यह कहना है उम्र का शतक पूरा कर चुके नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी (आइएनए) के जवान रहे 101 वर्षीय महाशय परमानंद यादव का दैनिक जागरण से बातचीत में। आजादी के नायक ने कहा कि लोगों के हाथ और घरों में तिरंगा देख मुझे लग रहा है कि हमारे जीवन का अविस्मरणीय पल है। उन्होंने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि आप सभी के बीच आजादी का 75वां वर्ष मना रहा हूं।
गांव फाजिलपुर बादली स्थित अपने निवास स्थान पर 'दैनिक जागरण' से बातचीत में उन्होंने युवा पीढ़ी के लिए संदेश दिया कि सदैव उन हाथों को ²ढ़ता प्रदान करे, जो राष्ट्र के लिए अच्छा कर रहे हैं। यह भी देश के प्रति श्रेष्ठ योगदान होगा। हर कोई सीमा पर नहीं जा सकता लेकिन समाज में रहते हुए देश विरोधी ताकतों को हतोत्साहित कर सकते हैं। इसे भी मैं राष्ट्रसेवा मानता हूं।
महाशय परमानंद इस वक्त गुरुग्राम में आजाद हिद फौज के इकलौते जीवित पूर्व सिपाही हैं। आज वह उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुके हैं कि उठने बैठने में भी उन्हें परेशानी होती है। इसके बाद भी उनके अंदर देशभक्ति का उत्साह आज भी वैसा ही है, जैसा युवा अवस्था में था। जब कोई जय हिद और भारत माता की जय तथा वंदे मातरम बोलता है तो वह इसका उत्तर अवश्य देते हैं।
पोते मनोज कुमार ने बताया कि जब बाबा परमानंद को पता चला था कि 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान चल रहा है तो उन्होंने अपनी चारपाई के सिरहाने राष्ट्रध्वज लगाने को कहा और वह भारत माता की जय, नेताजी सुभाचंद्र बोस जिदाबाद, वंदे मातरम के जयघोष करते रहते हैं।
किसान परिवार में 17 अगस्त 1920 को जन्मे परमानंद बातचीत के दौरान आज भी वो पल याद कर भावुक हो जाते हैं जब नेताजी सुभाषचंद्र बोस 1943 में सिगापुर में अंग्रेजी फौज के भारतीय कैदियों से मिलने पहुंचे थे। नेताजी के स्वागत में देशभक्ति से जुड़ी कविता गायन महाशय परमानंद ने किया था। तब उस बहादुरी पर नेताजी ने पीठ थपथपाई थी।
परमानंद 17 सितंबर 1940 को अंबाला से अंग्रेजी सेना में भर्ती हुए और उसी समय अंग्रेजों ने सिगापुर लड़ाई लड़ने के लिए भेज दिया। सात दिसंबर 1942 में सिगापुर में अंग्रेज फौज पर जापान ने हमला कर दिया और 15 फरवरी 1942 को फिरंगी फौज युद्ध हार गई और भारतीय सैनिकों को बंदी बना लिया गया था। बाद में वह आजाद हिद फौज में भर्ती हो गए।