भारत-पाक बंटवारे में उजड़ गया था घर, रोहतक पहुंचकर खड़ा किया पांच करोड़ टर्नओवर का कारोबार
विजय हरजाई ने 1987 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करते ही आइडीसी में इलेक्ट्रो प्लेटिंग की फैक्ट्री शुरू की। इनकी फैक्ट्री में आटोमोबाइल कंपनियों में प्रयोग होने वाले नट-बोल्ट व दूसरे पार्ट पर पालिशिंग कार्य होता है। अब सालाना पांच करोड़ रुपये का टर्नओवर कर दिया है
विक्रम बनेटा ’ रोहतक। पाकिस्तान के लायलपुर में उनका घर तथा गुजरांवाला मंडी में आढ़त की दुकान थी। इसके साथ-साथ खल-बिनौला व पशुचारे संबंधित व्यापार करते थे। अच्छा खास व्यापार चल रहा था। अचानक से हुए बंटवारे के चलते वे सबकुछ छोड़कर कैथल पहुंचे। यहां पर मंडी में आढ़ती की दुकान से चीनी की बोरी लेते थे। फिर उसी दुकान के सामने एक-एक किलो चीनी उसी भाव में बेच देते थे।
चीनी बेचने से उन्हें कोई मुनाफा नहीं होता था, लेकिन जो खाली बोरी होती थी, उसे बेचकर अपना गुजारा शुरू किया। यह कहना है कि आइडीसी के कारोबारी विजय हरजाई का। विजय बताते हैं कि उनके दादा नानकचंद व पिता सोमनाथ पाकिस्तान से कैथल आए थे। उस समय पिता की उम्र करीब दस साल थी। कैथल में इन्होंने पशुचारे का कार्य शुरू किया।
कैथल रहते व्यापार में पैर जमना शुरू ही हुए थे कि दादा नानकचंद को पता चला कि उनकी बिरादरी के सभी लोग रोहतक में हैं। रोहतक पहुंच कर मंडी में चीनी बेचने का कार्य शुरू किया। फिर रोहतक काठमंडी में पशुचारे की दुकान शुरू की। 1970 में मालगोदाम रोड पर आटा चक्की लगाने के साथ गायों की डेयरी कर दूध बेचने का कार्य शुरू कर दिया।
1987 में तीसरी पीढ़ी ने संभाला कारोबार और बदल गई दिशा
विजय हरजाई ने 1987 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करते ही आइडीसी में इलेक्ट्रो प्लेटिंग की फैक्ट्री शुरू की। इनकी फैक्ट्री में आटोमोबाइल कंपनियों में प्रयोग होने वाले नट-बोल्ट व दूसरे पार्ट पर पालिशिंग कार्य होता है। इन्होंने फैक्ट्री के कार्य को आगे बढ़ाते हुए अब सालाना पांच करोड़ रुपये का टर्नओवर कर दिया है। इनके यहां करीब 60 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। विजय हरजाई बताते हैं कि कभी उनके दादा के समय खुद के घर का चूल्हा जलाने के लिए दौड़-धूप करनी पड़ी थी लेकिन वर्तमान में उनके आशीर्वाद से अब दूसरों की मदद भी कर पा रहे हैं।