श्रीनगर में बलिदानियों के सम्मान में बनेगा गौरव स्तंभ, नाम के साथ लिखी होगी बलिदानियों के शौर्य की गौरवगाथा
जम्मू कश्मीर में तीन दशक से भी ज्यादा समय से पाकिस्तान ने आजादी और जिहाद के नाम पर एक छद्म युद्ध छेड़ रखा है। पुलिस के लगभग दो हजार जवान और अधिकारी पाकिस्तान और आतंकियों के मंसूबों को नाकाम बनाने बलिदान हो चुके हैं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे छद्म युद्ध को नाकाम बनाने और आतंकियो की नकेल कसते हुए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले वीरों की याद में एक बलिदान स्तंभ बनाया जाएगा। इसका नाम गौरव स्तंभ होगा, जिस पर सिर्फ बलिदानियों के नाम ही नहीं, उनके शौर्य की गौरवगाथा भी होगी। कश्मीर में यह अपनी तरह का पहला स्मारक होगा।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गत सोमवार को स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान अपने संबोधन में इसकी घोषणा की है। यह गौरव स्तंभ शूरवीरों की अमर ज्योति, नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का केंद्र बनेगा। यही नहीं, आतंकियों की कमर तोड़ने में अहम भूमिका निभाने वाली ग्राम सुरक्षा समितियों के पुनर्गठन भी होगा। पांच अगस्त को भ्रष्टाचार मुक्ति दिवस के रूप में मनाने का फैसला पहले ही हो चुका है।
लंबे समय से चल रही थी मांग: जम्मू कश्मीर में तीन दशक से भी ज्यादा समय से पाकिस्तान ने आजादी और जिहाद के नाम पर एक छद्म युद्ध छेड़ रखा है। पुलिस के लगभग दो हजार जवान और अधिकारी पाकिस्तान और आतंकियों के मंसूबों को नाकाम बनाने बलिदान हो चुके हैं। सेना, सीआरपीएफ और बीएसएफ, आइटीबीपी और सीआइएसएफ के लगभग डेढ़ हजार जवान व अधिकारी भी वीरगति को प्राप्त हुए हैं। सेना, केंद्रीय अर्धसैनिकबलों के कश्मीर में अपने संस्थानों के भीतर बलिदान और युद्ध स्मारक हैं, लेकिन पुलिस का कोई भी सार्वजनिक बलिदान स्तंभ नहीं है। कश्मीर में एक लंबे समय से लोग दबे मुंह मांग कर रहे थे कि बलिदानी पुलिस व अन्य सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धासुमन अर्पित करने वाला एक स्मारक बनाया जाए।
समारोह में उपराज्यपाल ने पांच अगस्त 2019 के बाद जम्मू कश्मीर में आए बदलाव और अपनी सरकार की उपलब्धियां बताईं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में अब शांति-विकास के पथ पर अग्रसर है। आतंकवाद पर अंतिम प्रहार किया जा रहा है। पत्थरबाजी और हड़ताल के दौर से बाहर निकलकर आज जम्मू कश्मीर विकास और शांति के पथ पर अग्रसर है। अब युवाओं को तय करना है कि वह 25 साल बाद जम्मू कश्मीर को कहां देखना चाहते हैं। हर किसी के जीवन में एक अवसर आता है, जब उसे इतिहास बदलने का मौका मिलता है। जम्मू कश्मीर के 1.30 करोड़ नागरिकों के जीवन में नया इतिहास लिखने का अवसर आया है। मुझे गर्व है इस वर्ष जम्मू कश्मीर पुलिस को 125 वीरता पदक प्राप्त हुए है।
बुरा सपना बीत गया, लहराते तिरंगे दे रहे बदलाव का संकेत : उपराज्यपाल ने कहा कि हर घर तिरंगा अभियान में जिस तरह का उत्साह जम्मू कश्मीर में दिखाई पड़ा है, वह बदलते हुए जम्मू कश्मीर का संकेत है। त्राल जैसे अनेक इलाके जिनकी पहचान दूसरे वजहों से होती थी, आज वहां भारत माता की जय के नारे गूंज रहे हैं। आजादी के अमृत काल खंड में जम्मू कश्मीर एक मजबूत, संगठित, विकसित, शांतिपूर्ण एवं समृद्ध प्रदेश बन नई बुलंदियों को छू रहा है। सात दशक का बुरा सपना बीत गया है। कहा कि योग्यता और ईमानदारी को पुरस्कृत करने के लिए प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है। जो लोग गलत तरीके से व्यवस्था का लाभ उठा रहे थे, उनका वक्त बीत चुका है।
जम्मू कश्मीर में सेना के बलिदानियों के स्वजन को 25 लाख : उपराज्यपाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के दौरान बलिदान सेना के जवानों के स्वजन के लिए मुआवजे की राशि पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये मिलेंगे। पुलिस के बलिदानियों के बच्चों की शिक्षा का भार प्रशासन द्वारा उठाया जाएगा। अग्निवीरों को सैन्य सेवा के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस में भर्ती के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण पहले से तय कर दिया गया है।