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Janmashtami2022: नूरपुर का प्रसिद्ध मंदिर जहां राधा कृष्‍ण नहीं,कृष्‍ण मीरा की मूर्तियों के दीदार के लिए आते हैं लोग

नूरपुर के प्राचीन किला मैदान में स्थित भगवान श्री बृजराज स्वामी का मंदिर क्षेत्रवासियों की प्रमुख आस्था का केंद्र है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है। यहां भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा नहीं अपितु मीरा बाई की मूर्ति स्थापित है।

By Richa RanaEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 09:22 AM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 09:22 AM (IST)
श्री बृजराज स्वामी मंदिर में श्री कृष्ण के साथ राधा नहीं अपितु मीरा बाई की मूर्ति स्थापित है।

नूरपुर, प्रदीप शर्मा। नूरपुर के प्राचीन किला मैदान में स्थित भगवान श्री बृजराज स्वामी का मंदिर क्षेत्रवासियों की प्रमुख आस्था का केंद्र है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है। यहां भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा नहीं अपितु मीरा बाई की मूर्ति स्थापित है। यह दोनों प्रतिमाएं ऐसी लगती हैं मानों आपके सामना साक्षात भगवान श्री कृष्ण व मीरा बाई स्वयं खड़े हों। प्रेम व आस्था के संगम के प्रतीक इस मंदिर का नूर जन्माष्टमी को छलक उठता है। जन्माष्टमी के पावन अवसर पर इस ऐतिहासिक मंदिर में रौनक देखते ही बनती है। जहां दूर-दूर से हजारों की संख्या में लोग मंदिर में शीश नवाते हैं।

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नूरपुर को धमेड़ी के नाम से जाना जाता था ऐसे पड़ा नाम नूरपुर

नूरपुर को प्राचीनकाल में धमेड़ी के नाम से जाना जाता था। बेगम नूरजंहा के यहां आगमन के बाद इसका नाम बेगम के नाम पर नूरपुर पड़ा।

मंदिर के इतिहास के साथ जुड़़ी है रौचक कथा

उस समय की बात है 1629 से 1623 ई. कि जब नूरपुर के राजा जगत सिंह अपने राज पुरोहित के

साथ चितौडग़ढ के राजा के निमंत्रण पर वहां गए। राजा जगत सिंह व उनके पुरोहित को रात्रि विश्राम के लिए जो महल दिया, उसके बगल में एक मंदिर था। जहां रात के समय राजा को उस मंदिर से घुंघरूओं तथा संगीत की आवाजें सुनाई दी। राजा ने जब मंदिर में बाहर से झांक कर देखा तो एक औरत कमरे में

श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने भजन गाते हुए नाच रही थी। राजा ने सारी बात राज पुरोहित को सुनाई। पुरोहित ने भी वापसी पर राजा (चितौडग़ढ़) से इन मूर्तियों को उपहार स्वरूप मांग लेने का सुझाव दिया। क्योंकि श्री कृष्ण व मीरा की यह मूर्तियां साक्षात हैं। जगत सिंह ने पुरोहित बताए अनुसार वैसा ही किया। चितौडग़ढ़ के राजा ने भी खुशी-खुशी वे मूर्तियां व मौलश्री का पेड़ राजा जगत सिंह को उपहार स्वरूप दे दिया। तदोपरांत नूरपुर के राजा ने अपने दरबार-ए-खास को मंदिर का रूप देकर इन मूर्तियों को वहां पर स्थापित कर दिया।

इस पत्थर व इस धातू से बनी हैं मूर्तियां

राजस्थानी शैली की काले संगमरमर से बनी श्रीकृष्ण व अष्टधातु से बनी मीरा की मूर्ति आज भी नूरपुर के इस ऐतिहासिक श्री बृजराज स्वामी मंदिर में शोभायमान है। मंदिर की भित्तिकाओं पर कृष्ण लीलाओं का चित्रण दर्शनीय है। इस स्थान पर हर साल जन्माष्टमी का उत्सव हर साल बढ़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षो से मेला कमेटी के प्रधान आर के महाजन के व्यक्तिगत प्रयासों से नूरपुर की जन्माष्टमी विशाल उत्सव का रुप ले चुकी है।

यहां जन्माष्टमी पर्व को जिला से राज्यस्तरीय का दर्जा ऐसे मिला

वर्ष 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने नूरपुर के जन्माष्टमी उत्सव में भाग लिया तथा मेले के प्रबंधन व श्रद्धालुओं के उमड़े जनसैलाब से वह काफी प्रभावित हुए, तत्कालीन विधायक राकेश पठानिया के आग्रह पर उन्होंने नूरपुर के जन्माष्टमी मेले को जिला स्तरीय मेले का दर्जा देने की घोषणा। मौजूदा विधायक एवं वन मंत्री राकेश पठानिया के प्रयास से बीते वर्ष नूरपुर के जन्माष्टमी महोत्सव को राज्य स्तरीय महोत्सव का दर्जा दिया गया था। वन मंत्री राकेश पठानिया पिछले एक मामले से राज्य स्तरीय जन्माष्टमी महोत्सव की तैयारी में जुटे हुए हैं। आज वीरवार को महामहिम राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर की अगुवाई में भव्य शोभायात्रा निकाली जा रहा है।


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