भविष्य के लिए पलायन करते हैं 'अंक' के धुरंधर
'अंक' के धुरंधर भविष्य की नींव पुख्ता करने के लिए हर साल पलायन कर जाते हैं। रिजल्ट के बाद यह हकीकत एक बार फिर बेनकाब हुई।
देहरादून, [जेएनएन]: मान्यता एजुकेशन हब की और उच्च शिक्षा के अवसर बेहद सीमित। दून की प्रतिभाएं इस सच्चाई से हर साल दो-चार होती हैं। 'अंक' के धुरंधर भविष्य की नींव पुख्ता करने के लिए हर साल पलायन कर जाते हैं। रिजल्ट के बाद यह हकीकत एक बार फिर बेनकाब हुई।
उच्च शिक्षा को सामान्यत: दो भाग में विभाजित किया जा सकता है। व्यावसायिक व पारंपरिक। शहर की ही बात करें, तो राजधानी में हर साल तकरीबन 15 से 20 हजार छात्र 12वीं पास कर जाते हैं। अब यदि उच्च शिक्षा के विकल्प देखें, तो स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती। खासकर पारंपरिक शिक्षण में। हालत ऐसे नहीं कि एक चौथाई भी छात्र कॉलेजों में खप जाएं। गुणवत्ता तो दूर की बात।
मेधावी छात्र यहां से ऑनर्स भी नहीं कर सकता। विषय विशेषज्ञता की फिर बात ही छोड़िए। व्यावसायिक क्षेत्र में विकल्प तलाशें तो अधिकांश कॉलेज और यूनिवर्सिटी कमर्शियल की श्रेणी में हैं। इंजीनियरिंग कॉलेजों में बीटेक की खाली पड़ी सीटें इसकी बानगी हैं। मेडिकल क्षेत्र में भी अवसर सीमित हैं। ऐसे भी हालात नहीं कि छात्र इच्छानुसार अपने कॅरियर को आकार दे सके। ऐसे में बेहतर भविष्य की तलाश में उन्हें किसी अन्य शहर की ओर रुख करना पड़ता है। छात्र भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं।
ब्राइटलैंड्स से 12वीं पास करने वालीं सुहानी का कहना है कि दून में गुणवत्तापरक शिक्षा का बेहद सीमित अवसर हैं। यदि यहीं बेहतर विकल्प मिले तो वह वह दिल्ली यूनिवर्सिटी या अन्य जगह क्यों जाएगा। उन्हें अर्थशास्त्र में ऑनर्स करना है। जिसके लिए वह दिल्ली विश्वविद्यालय का रुख करेंगी।
एन मैरी की छात्रा ईना मल्होत्रा कहती हैं कि दून की पहचान एजुकेशन हब के तौर पर है। मगर, यह दायरा महज स्कूली शिक्षा तक ही सिमटा है। स्कूल से निकलकर यहां करने को कुछ भी नहीं। यदि कुछ डीम्ड यूनिवर्सिटी को छोड़ दें, तो स्थिति बेहद ही खराब है। ब्राइटलैंड्स के छात्र अभिज्ञान का कहना है कि दून में इस तरह के विकल्प ही नहीं हैं कि कोई छात्र इच्छानुसार कॅरियर तराश सके। वह कहते हैं कि यहां छात्र कितने कॉलेजों में ऑनर्स कर सकता है। जबकि यह समय की मांग है।
यह भी पढ़ें: आइएससी परिणाम: शिक्षक दंपती को बेटे ने दी गुरु दक्षिणा
यह भी पढ़ें: आइएससी परिणाम: दो अंक से फिसल गया इंडिया टॉपर का ताज