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क्या समय पर शुरू हो पाएंगे दिल्ली यूनीवर्सिटी में दाखिले, जानें क्यों हो रही है यह चर्चा

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में हर वर्ष मई में स्नातक पीजी व एमफिल-पीएचडी पाठ्यक्रम की दाखिला प्रक्रिया को शुरू किया जाता है। इसको लेकर चर्चा गरम है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 11:31 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 11:31 AM (IST)
क्या समय पर शुरू हो पाएंगे दिल्ली यूनीवर्सिटी में दाखिले, जानें क्यों हो रही है यह चर्चा
क्या समय पर शुरू हो पाएंगे दिल्ली यूनीवर्सिटी में दाखिले, जानें क्यों हो रही है यह चर्चा

नई दिल्ली [राहुल मानव]। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में हर वर्ष मई में स्नातक, पीजी व एमफिल-पीएचडी पाठ्यक्रम की दाखिला प्रक्रिया को शुरू किया जाता है। पहले दिल्ली विश्वविद्यालय की दाखिला समिति इस कामकाज को देखा करती थी, लेकिन अब विश्वविद्यालय ने इस कामकाज को देखने के लिए दाखिला शाखा (एडमिशन ब्रांच) का गठन कर दिया है। हाल ही में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुछ शिक्षकों को इसकी जिम्मेदारी भी सौंप दी है। लेकिन इस समय विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के बीच इस बात को लेकर चर्चा गर्म हैं कि क्या इस बार समय पर दाखिला प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। दरअसल, बीते वर्ष 2019 में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मई के पहले हफ्ते में ही 12वीं के नतीजे जारी कर दिए थे। लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय की तरफ से 30 मई 2019 को दाखिला प्रक्रिया शुरू की गई, जो वर्ष 2018 की तुलना में 15 दिन देर से थी। इसे लेकर ही विश्वविद्यालय के छात्र आशंकित नजर आ रहे हैं।

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प्रदर्शन का केंद्र तो नहीं बनता जा रहा है डीयू

देश के सबसे प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शुमार दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) इन दिनों प्रदर्शन का केंद्र बनता जा रहा है। यह चर्चाएं अब छात्रों के बीच जोर-शोर से होने लगी हैं। चाय की चुस्की के बीच प्रदर्शन को लेकर हंसी के ठहाके भी सुनने को मिल रहे हैं। डीयू के मौजूदा हालात को लेकर चुटकुले भी बनने लगे हैं। डीयू में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर हाल के दिनों में कई प्रदर्शन भी आयोजित किए गए। छात्रों के बीच चर्चा है कि वह अकादमिक गतिविधियों में ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं, लेकिन कुछ लोगों द्वारा बाहर के मुद्दों पर राजनीति चमकाने की कोशिश की जा रही है। छात्रों का कहना है कि अकादमिक गतिविधि में बाधा पहुंचाने का काम किया जा रहा है। देखते हुए यह आगे कहां तक जाएगा।

दिल्ली विश्वविद्यालय में लगातार हो रहे प्रदर्शनों के बीच प्रशासन के एक नोटिस को लेकर अब छात्र व प्रशासन आमने-सामने नजर आ रहे हैं। दरअसल लगातार विश्वविद्यालय की ऑट्र्स फैकल्टी में किसी ना किसी बात को लेकर हो रहे प्रदर्शन की वजह से जिस तरीके से अकादमिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। उस पर लगाम लगाने के लिए विश्वविद्यालय ने नोटिस जारी करते हुए, 24 घंटे पहले प्रदर्शन से जुड़ी जानकारी देने के लिए कहा है। इस नोटिस को लेकर कुछ छात्रों ने विरोध भी शुरू कर दिया गया। वहीं अन्य छात्रों ने अपने विरोधी मत वाले छात्रों पर तंज भी कसना शुरू कर दिया है। इन सब को लेकर विश्वविद्यालय में छात्रों के बीच चर्चा भी शुरू हो गई है कि कहीं अकादमिक गतिविधियों से ज्यादा प्रदर्शन महत्वपूर्ण तो नहीं हो गया है। आने वाले दिनों में दोनों विचारों को मानने वाले छात्रों की भिड़ंत कहां तक जाती है, यह देखना होगा।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पिछले दो महीने से छात्रवास की फीस बढ़ोतरी को लेकर छात्रों और प्रशासन में टकराव जारी है। नौबत यहां तक आ गई है कि दोनों ही अपने-अपने रुख पर अडिग हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन व छात्र दोनों के अपने-अपने दावे हैं। इसी हफ्ते विश्वविद्यालय के कुलपति ने नए साल को तोहफा देते हुए आंदोलन कर रहे छात्रों द्वारा दिसंबर में सेमेस्टर परीक्षा ना देने के मामले में उन सभी को राहत देते हुए बीते वर्ष की सेमेस्टर की अकादमिक गतिविधि को पूरा करने का अवसर दिया। जेएनयू प्रशासन द्वारा प्रदर्शनकारी छात्रों को पांच जनवरी तक अस्थायी पंजीकरण कराने का मौका दिया गया था, लेकिन छात्र इससे सहमत नहीं हुए। प्रदर्शनकारी छात्रों ने इस प्रस्ताव का भी बहिष्कार करने का फैसला किया। इसका मतलब साफ है कि यहां पर कोई भी झुकने को तैयार नहीं है। यह टकराव कम थमेगा, कोई नहीं जानता।


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